एल्गार मामले के आरोपी को अदालत ने भतीजी की शादी के लिए जमानत देने से इनकार किया
मुंबई, 17 दिसंबर (भाषा) मुंबई में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने एल्गार परिषद-माओवादी से जुड़े एक मामले आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन को यह कहकर उनकी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया कि ‘‘रिश्ता काफी दूर का है’’ और उनकी वहां मौजूदगी बिल्कुल भी जरूरी नहीं है।
विल्सन को जून 2018 में मामले की जांच कर रही पुणे पुलिस ने उनके दिल्ली आवास पर छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था। इसके बाद मामला एनआईए को सौंप दिया गया था।
वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और महाराष्ट्र के नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता ने हाल में अपनी भतीजी (अपनी चचेरी बहन की बेटी) के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए छह से 20 जनवरी 2025 तक अंतरिम जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था।
विशेष न्यायाधीश चकोर बाविस्कर ने 13 दिसंबर को उनकी याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि आरोपी अपनी भतीजी के विवाह समारोह में शामिल होना चाहता है। अदालत का आदेश मंगलवार को उपलब्ध हुआ।
विशेष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘‘यह रिश्ता काफी दूर का है। शादी में उनका उपस्थित होना अपरिहार्य नहीं है।’’
पिछले सप्ताह अदालत ने मामले में चार साल पहले गिरफ्तार किए गए एक अन्य आरोपी सागर गोरखे को कानून की डिग्री की परीक्षा में बैठने के लिए अंतरिम जमानत दी थी।
विल्सन और 14 अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं शिक्षाविदों पर 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
इसके अगले दिन पुणे शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़क उठी।
शुरुआती जांच करने वाली पुणे पुलिस के अनुसार, इस सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था।
बाद में एनआईए ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली।