तबला का ‘ए’ अल्लाह रक्खा से शुरू होता है और जाकिर हुसैन के ‘जेड’ पर खत्म होता है: राकेश चौरसिया
(मनीष सैन)
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) ग्रैमी पुरस्कार विजेता राकेश चौरसिया कहते हैं कि वह अपने चाचा और प्रसिद्ध बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया के बाद जाकिर हुसैन को अपना ‘‘दूसरा गुरु’’ मानते थे।
राकेश चौरसिया ‘तबला के भगवान’ जाकिर हुसैन को ऐसे व्यक्ति के रूप में याद करते हैं, जिन्होंने संगीतकारों की युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए एक मंच दिया।
प्रसिद्ध तबला वादक जाकिर हुसैन का सोमवार तड़के अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे। हुसैन महान तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा के पुत्र थे।
राकेश चौरसिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम आमतौर पर कहते हैं कि तबला का ‘ए’ अल्लाह रक्खा से शुरू होता है और जाकिर हुसैन के ‘जेड’ पर खत्म होता है। मुझे लगता है कि संगीत जगत में हर कोई उन्हें ‘तबले का भगवान’ कहता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हुसैन का आशीर्वाद ही काफी था और वे सभी को दिल से आशीर्वाद देते थे। उन्होंने हम जैसे युवा पीढ़ी के संगीतकारों को शीर्ष पर पहुंचने का मंच दिया।’’
बांसुरी वादक राकेश चौरसिया ने हुसैन के साथ मिलकर ‘‘एज वी स्पीक’’ और ‘‘पश्तो’’ एल्बम तैयार किए हैं, इन दोनों एल्बम ने इस वर्ष ग्रैमी पुरस्कार जीता है।
उनके बीच कोई औपचारिक ‘गुरु-शिष्य’ संबंध नहीं था, फिर भी राकेश चौरसिया हुसैन को अपना ‘‘दूसरा गुरु’’ मानते हैं।