विदेशी संतों को रास आ रहा है सनातन संस्कृति का महापर्व

विदेशी संतों को रास आ रहा है सनातन संस्कृति का महापर्व

महाकुम्भ नगर, 15 दिसंबर (भाषा) प्रयागराज महाकुम्भ के आयोजन से पहले ही महाकुम्भ नगर में देश विदेश से साधु संत अपना शिविर लगाने आने लगे हैं।

अखाड़ों की धर्म ध्वजा, नगर प्रवेश और कुम्भ छावनी प्रवेश यात्रा की परंपरा में महाकुम्भ मेला क्षेत्र पहुंचे विदेशी साधु संतों को भी महाकुम्भ की नव्य व्यवस्था रास आ रही है।

श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में शामिल हुईं। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर सोम गिरी उर्फ पायलट बाबा की जापानी शिष्या योग माता और महामंडलेश्वर केको केई का कहना है कि जूना अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा से आगामी महाकुम्भ के आयोजन का अंदाजा लगने लगा है। उनके मुताबिक, हवाई संपर्क से लेकर सड़क और रेल परिवहन की व्यवस्था अच्छी है।

नेपाल से आई महिला संत और जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर हेमा नन्द गिरी का कहना है, “ संतों का सौभाग्य है कि जिस प्रदेश में महाकुम्भ का आयोजन हो रहा है, वहां के मुख्यमंत्री भी एक संत हैं। इस आयोजन को लेकर उनकी तरफ से जैसी तैयारियां चल रही हैं उससे सनातन धर्म का प्रचार प्रसार नेपाल सहित दुनिया के विभिन्न देशों में अब तेजी से हो रहा है।”

प्रयागराज महाकुम्भ को दिव्य, भव्य और स्वच्छ स्वरूप देने के साथ ही डिजिटल महाकुम्भ की परिकल्पना से विदेशी संत भी खुश हैं।

स्पेन से अखाड़ों के विभिन्न आयोजनों में हिस्सा लेने आईं जूना अखाड़े की अवधूत अंजना गिरी (पूर्व नाम एंजिला) का कहना है कि पिछले 30 वर्षों से वह लगातार यहां कुम्भ और महाकुम्भ में अपने गुरु के साथ आती रही हैं लेकिन इस बार महाकुम्भ की अनुभूति अलग है।

उन्होंने कहा कि स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाने और डिजिटल माध्यम से सूचना उपलब्ध कराए जाने से विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए मेले का आनंद उठाना सुगम होगा।

फ्रांस से महाकुम्भ में जूना अखाड़े के आयोजन में शामिल होने आए ब्रूनो गिरी कहना है कि महाकुम्भ के आयोजन में वह पहले भी दो बार आए चुके हैं लेकिन इस बार शहर बदला बदला सा लगता है, उत्सव की अनुभूति होती है।