एल्गो ट्रेडिंग में खुदरा निवेशकों की भागीदारी आसान बनाने का सेबी ने रखा प्रस्ताव
नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी ने कंप्यूटर प्रोग्राम के जरिये त्वरित शेयर लेनदेन करने की पद्धति 'एल्गो ट्रेडिंग' में खुदरा निवेशकों की भागीदारी आसान बनाने के लिए शुक्रवार को एक प्रस्ताव रखा।
अगर इस प्रस्ताव को लागू किया जाता है तो पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ एल्गो का उपयोग करके सौदे करने की खुदरा निवेशकों की चाहत पूरी हो सकती है।
'एल्गो ट्रेडिंग' में पूर्व-निर्धारित मानदंडों के आधार पर उच्च रफ्तार और मात्रा में सौदों को पूरा करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम का इस्तेमाल किया जाता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बाजार की दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एल्गो ट्रेडिंग की शुरुआत की थी। इससे सौदों को तेजी से पूरा करने, लेनदेन की लागत में कटौती, अधिक पारदर्शिता, बेहतर ऑडिट और बेहतर तरलता में मदद मिली।
हालांकि, इन सुविधाओं तक पहुंच सिर्फ संस्थागत निवेशकों को ही है। खुदरा निवेशक भी एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा मुहैया कराए जाने की मांग करते रहे हैं।
सेबी ने शुक्रवार को जारी अपने परामर्श पत्र में खुदरा निवेशकों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों के साथ मौजूदा विनियामक ढांचे का विस्तार करने का प्रस्ताव रखा।
सेबी ने कहा, "एल्गो ट्रेडिंग के बारे में खुदरा निवेशकों की बढ़ती मांग के साथ नियामकीय ढांचे की समीक्षा और संशोधन की जरूरत है।"
इस संबंध में बाजार नियामक ने निवेशकों, शेयर ब्रोकर, एल्गो प्रदाताओं/ विक्रेताओं और बाजार अवसंरचना संस्थानों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करने का प्रस्ताव रखा है।
सेबी ने कहा कि शेयर ब्रोकर द्वारा हरेक एल्गो के लिए शेयर बाजार से अपेक्षित अनुमति मिलने के बाद ही एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान की जाएगी।
इसके अलावा ऑडिट ट्रेल स्थापित करने के लिए सभी एल्गो ऑर्डर को शेयर बाजार द्वारा दिए गए एक विशिष्ट पहचानकर्ता के साथ संबद्ध किया जाएगा।
सेबी के मुताबिक, शेयर बाजारों को एल्गो ट्रेडिंग की निगरानी के लिए जिम्मेदार होना चाहिए और यह जांच करनी चाहिए कि ब्रोकर्स के पास एल्गो और नॉन-एल्गो ऑर्डर के बीच अंतर करने की क्षमता है या नहीं।
पूंजी बाजार नियामक ने इस प्रस्ताव पर तीन जनवरी तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।