चिकित्सक बलात्कार-हत्या प्रकरण: आर जी कर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य समेत दो लोगों को जमानत मिली
कोलकाता ,13 दिसंबर (भाषा) सियालदह की एक अदालत ने ड्यूटी के दौरान एक चिकित्सक से कथित बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में शुक्रवार को ताला पुलिस थाने के तत्कालीन प्रभारी अभिजीत मंडल और आर जी कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को जमानत दे दी।
घोष का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने बताया कि सियालदह अदालत के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) ने दोनों आरोपियों को जमानत दे दी, क्योंकि उनके खिलाफ आरोपपत्र अनिवार्य 90 दिन की अवधि के भीतर दाखिल नहीं किया गया।
अदालत ने घोष और मंडल को 2,000-2,000 रुपये के जमानत बांड पर जमानत दे दी और उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया।
मंडल पर नौ अगस्त को आर जी कर अस्पताल में ड्यूटी के दौरान एक चिकित्सक से कथित बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी करने का आरोप है, जबकि घोष पर मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने का आरोप है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दोनों को गिरफ्तार किया था। सीबीआई कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश पर इस प्रकरण की जांच कर रही है।
मंडल के वकील ने अदालत के बाहर कहा कि उनका मुवक्किल न्यायिक हिरासत में जेल में है जहां से वह बाहर आएंगे।
घोष बलात्कार-हत्या के मामले में जमानत मिलने के बावजूद सलाखों के पीछे ही रहेंगे क्योंकि वह आर जी कर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं के एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।
इससे पहले दिन में, आरोपियों को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच एसीजेएम अरिजीत मंडल की अदालत में पेश किया गया। सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों के वकीलों ने न्यायाधीश के समक्ष उनके मुवक्किलों को जमानत दिए जाने का अनुरोध किया, क्योंकि सीबीआई 90 दिनों की वैधानिक अवधि के भीतर उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकी।
सीबीआई ने कहा कि मामले में जांच जारी है।
हालांकि, केंद्रीय जांच एजेंसी ने बलात्कार-हत्या मामले में मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है।
यहां एक विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दाखिल आरोपपत्र में कहा गया है कि स्थानीय पुलिस के साथ नागरिक स्वयंसेवक के रूप में काम करने वाले रॉय ने नौ अगस्त को उस समय कथित तौर पर अपराध को अंजाम दिया, जब चिकित्सक अल्पविराम के दौरान अस्पताल के सेमिनार कक्ष में सोने गई थी।
इस बीच, पीड़िता के माता-पिता ने सीबीआई जांच पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि मामले के दो प्रमुख संदिग्धों को जमानत मिलने से वे बहुत दुखी हैं और ऐसा लगता है कि ‘‘व्यवस्था हमें निराश कर रही है।’’
पीड़िता की मां ने कहा, ‘‘हमें लगा था कि सीबीआई जांच में तेजी लाएगी और जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघरे में खड़ा करेगी। लेकिन अब, जब आरोपियों को जमानत मिल गई है, तो ऐसा लग रहा है कि व्यवस्था हमें निराश कर रही है।’’
पीड़िता के पिता ने कहा, ‘‘हम दुखी हैं। हमने न्याय के लिए सीबीआई पर भरोसा किया था, लेकिन अब हम यह सोच रहे हैं कि क्या हमें कभी अपनी बेटी के लिए न्याय मिलेगा।’’