महाकुंभ देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नयी ऊंचाइयों पर ले जाएगा : मोदी

महाकुंभ देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नयी  ऊंचाइयों पर ले जाएगा : मोदी

प्रयागराज, 13 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि महाकुंभ देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और यह एकता का महायज्ञ है।

प्रधानमंत्री ने 5500 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद यहां एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा, "महाकुंभ देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।"

महाकुंभ को एकता का महायज्ञ बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें जाति और संप्रदायों का भेद मिट जाता है।

उन्होंने इस आयोजन के महत्व पर बहुत विश्वास व्यक्त किया और कहा कि यह "एकता का महायज्ञ" होगा जो जाति, संप्रदाय और क्षेत्र के सभी विभाजनों से परे होगा।

उन्होंने प्रयागराज को सिर्फ एक भौगोलिक नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक स्थान बताया जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का पवित्र संगम सभी क्षेत्रों के लोगों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाता है।

मोदी ने कहा, ''प्रयागराज सिर्फ एक भौगोलिक स्थान नहीं है, यह आध्यात्मिक अनुभव की जगह है। यह ज्ञान और ज्ञान के लोगों का आशीर्वाद है कि मुझे बार-बार इस भूमि पर आने का सौभाग्य मिलता है। पिछले कुंभ में भी मुझे संगम में स्नान करने का सौभाग्य मिला था और आज एक बार फिर मुझे गंगा के चरणों में आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है।''

प्रधानमंत्री ने कुंभ के ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया और याद दिलाया कि कैसे सदियों से ऋषि-मुनियों ने राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करने और बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए इस समागम का उपयोग किया है।

उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भी कुंभ ने सामाजिक बदलाव की नींव रखी थी। पहले ऐसे आयोजनों में श्रद्धालुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता था, लेकिन उस समय की सरकारों ने इसकी परवाह नहीं की। इसका कारण उनका भारतीय संस्कृति से विमुख होना था ।

उन्होंने कहा, “लेकिन आज केंद्र और राज्य में ऐसी सरकार है जो आस्था और भारतीय संस्कृति का सम्मान करती है,”।

प्रधानमंत्री ने रामायण, कृष्ण और बौद्ध सर्किट जैसे विभिन्न सांस्कृतिक सर्किटों के विकास पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन में, उन्होंने सफाई कर्मचारियों के योगदान को स्वीकार किया जो इस तरह के बड़े पैमाने के आयोजनों की सफाई और सफलता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “2025 के कुंभ के दौरान 15,000 से अधिक सफाई कर्मचारी सफाई सुनिश्चित करेंगे।”

उन्होंने 2019 में सफाई कर्मचारियों के पैर धोने के अपने व्यक्तिगत अनुभव को याद किया, जिसे उन्होंने अपने जीवन का यादगार पल बताया। मोदी ने महाकुंभ के आर्थिक लाभों पर भी जोर दिया, इसके सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ आर्थिक सशक्तिकरण की क्षमता पर प्रकाश डाला।

प्रधानमंत्री ने कहा, "कुंभ न केवल सामाजिक मजबूती देता है, बल्कि लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाता है।"

उन्होंने कुंभ में प्रौद्योगिकी के अधिक से अधिक एकीकरण का आह्वान किया और इस आयोजन में एकता की भावना को दर्शाने तथा युवाओं के बीच इसकी अपील बढ़ाने के लिए फोटोग्राफी प्रतियोगिताओं जैसी पहल का सुझाव दिया।

उन्होंने 2025 के महाकुंभ मेले के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार के उद्देश्य से 5,500 करोड़ रुपये की प्रमुख विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने भारद्वाज आश्रम गलियारा, श्रृंगवेरपुर धाम गलियारा, अक्षयवट गलियारा, हनुमान मंदिर गलियारा का उद्घाटन भी किया। इन परियोजनाओं से श्रद्धालुओं की पहुंच आसान होगी और आध्यात्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

प्रधानमंत्री कुंभ ‘सहायक’ चैटबॉट की भी शुरुआत की। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित यह चैटबॉट महाकुंभ मेला 2025 के बारे में श्रद्धालुओं को कार्यक्रमों की नवीनतम जानकारी प्रदान करेगा।

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में पेयजल और बिजली आपूर्ति से संबंधित कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत की।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर एक औपचारिक पूजा और दर्शन के साथ शुरू हुई।

पूजा से पहले मोदी ने नदी में नौका विहार का आनंद लिया। पूजा के अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे।

हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ अगले वर्ष प्रयागराज में 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महा शिवरात्रि) तक आयोजित किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने अक्षय वट वृक्ष स्थल पर पूजा की । प्रधानमंत्री उसके बाद हनुमान मंदिर और सरस्वती कूप में दर्शन और पूजा की। फिर उन्होंने महाकुंभ प्रदर्शनी स्थल का भ्रमण किया और वहां मौजूद अधिकारियों से उसके बारे में जानकारी ली ।