चालक ने बेस्ट की बस को एक ‘साधन’ के तौर पर इस्तेमाल तो नहीं किया, जांच करने की जरूरत: पुलिस
मुंबई, 10 दिसंबर (भाषा) मुंबई पुलिस ने मंगलवार को यहां एक अदालत को बताया कि उसे इसकी जांच करने की जरूरत है कि बेस्ट बस हादसे में बस चालक ने घटना को ‘‘जानबूझकर’’ तो अंजाम नहीं दिया और कहीं उसने वाहन को एक ‘साधन’ के तौर पर इस्तेमाल तो नहीं किया।
मुंबई के कुर्ला इलाके में सोमवार रात को हुए उक्त हादसे में सात लोगों की मौत हो गई थी और 42 अन्य घायल हो गए थे।
अदालत ने चालक संजय मोरे (54) को 21 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
अधिकारियों ने बताया कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) अंतर्गत बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति और परिवहन (बेस्ट) उपक्रम की एक बस ने सोमवार रात करीब साढ़े नौ बजे कुर्ला (पश्चिम) में एसजी बर्वे मार्ग पर कई वाहनों और पैदल यात्रियों टक्कर मार दी थी।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी बस चालक संजय मोरे (54) को पहले हिरासत में लिया गया और बाद में गिरफ्तार करके उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) और 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) तथा मोटर वाहन अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
पुलिस ने उसे एक मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया और उसे हिरासत में दिये जाने का अनुरोध करते हुए दलील दी कि कथित अपराध गंभीर है और इसकी एक गहन जांच करने की जरूरत है।
पुलिस ने दलील दी कि उसे अपराध में आरोपी की मंशा की जांच करने की जरूरत है और यह भी कि क्या इसमें कोई साजिश थी।
पुलिस ने अदालत से कहा कि उसे इस तथ्य की भी जांच करनी होगी कि क्या चालक ने अपने बस को एक ‘‘साधन’’ के रूप में इस्तेमाल किया और क्या उसने भीड़भाड़ वाले इलाके में लापरवाही से बस चलायी, जिससे यात्रियों और पैदल चलने वालों की जान जोखिम में पड़ी।
उसने कहा कि यह जांच करना भी जरूरी है कि क्या आरोपी ने बस चलाने का प्रशिक्षण लिया था और क्या घटना के समय वह नशीले पदार्थों के प्रभाव में था।
पुलिस ने यह भी कहा कि परिवहन विभाग ने अभी तक दुर्घटनाग्रस्त बस की जांच नहीं की है।
पुलिस की हिरासत मांगने की अर्जी का विरोध करते हुए मोरे के वकील समाधान सुलाने ने कहा कि दुर्घटना बस में तकनीकी खराबी के कारण हुई होगी। उन्होंने दलील दी कि इन वाहनों को चालकों को सौंपने से पहले इनकी पूरी तरह जांच करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
सुलाने ने शॉर्ट सर्किट के कारण वाहनों में आग लगने का हवाला देते हुए कहा कि मोरे को उचित प्रशिक्षण मिला था और वह नियमित रूप से बस चला रहा था।
मजिस्ट्रेट अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी को 21 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।