कुवैत के बैंक ने केरल के नर्सों पर 700 करोड़ रुपये का ऋण न चुकाने का आरोप लगाया, प्राथमिकी दर्ज
तिरुवनंतपुरम, 10 दिसंबर (भाषा) कुवैत के एक प्रमुख बैंक ने केरल के 1,400 से अधिक लोगों द्वारा खाड़ी देश में काम करते समय लिए गए करीब 700 करोड़ के ऋण नहीं चुकाने के आरोप में राज्य के विभिन्न थानों में शिकायतें दर्ज कराई है।
ऋण लेने वालों में अधिकतर लोग पेशे से नर्स हैं।
ऋण चुकता नहीं करने वाले अधिकतर लोग अब अपने गृह राज्य लौट गए हैं या फिर दूसरे देशों में जा चुके हैं, जिसके कारण खाड़ी बैंक केएससीपी (कुवैत शेयरहोल्डिंग कंपनी पब्लिक) ने हाल ही में केरल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। केएससीपी के शिकायत दर्ज कराने के बाद राज्य में 10 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि बैंक के उप महाप्रबंधक मोहम्मद अब्दुल वासी कामरान की शिकायत के आधार पर एर्नाकुलम ग्रामीण में आठ, एर्नाकुलम शहर में एक और कोट्टायम में एक मामला दर्ज किया गया है।
उन्होंने बताया कि पिछले महीने विभिन्न पुलिस थानों में अधिकतर मामले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406 और 420, 120-बी, 34 सहित विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किए गए।
राज्य में बैंक को कानूनी सहायता प्रदान करने वाले अधिवक्ता थॉमस जे. अनक्कलुंकल ने कहा कि ऋण चुकता नहीं करने वाले प्रत्येक व्यक्ति ने संस्था से 75 लाख से एक करोड़ रुपये तक का ऋण लिया था।
उन्होंने बताया कि बैंक को 1,400 से अधिक लोगों ने लगभग 700 करोड़ रुपये का चूना लगाया।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘उनमें से ज्यादातर ने कोरोना काल के दौरान ऋण लिया था और अधिकतर लोग कुवैत के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में पेशे से नर्स थे, और अपने वेतन प्रमाण पत्र दिखाकर ऋण ले सकते थे।’’
उन्होंने कहा कि शुरू में वे छोटे ऋण लेते थे और बिना किसी चूक के उन्हें चुका कर बैंक अधिकारियों का विश्वास अर्जित कर लेते थे।
बाद में वे 75 लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक के बड़े ऋण लेते थे और बिना चूके दो या तीन बार किश्तें चुकाते थे।
अनक्कलुंकल ने बताया, ‘‘इसके बाद वे छुट्टी पर घर जाने के बहाने देश छोड़ देते थे और फिर कभी कुवैत नहीं लौटते तथा किश्ते भी नहीं चुकाते थे।’’
कुवैत बैंक अधिकारियों ने इस मामले को भारतीय गृह विभाग के समक्ष उठाया है, जो इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘पासपोर्ट का विवरण और घर का पता बैंक के पास उपलब्ध होने से हमारे लिए राज्य में आरोपियों का पता लगाना मुश्किल नहीं था और हमने शिकायत दर्ज करवाई।’’
उन्होंने कहा कि केवल कुवैत ही नहीं, बल्कि पश्चिम एशिया के अन्य संस्थानों के साथ भी इसी तरह से धोखाधड़ी की गई होगी और वे भी इसी तरह की शिकायतें दर्ज कराएंगे।
अधिवक्ता ने कुछ बकायेदारों की इन दलीलों को खारिज कर दिया कि कोविड महामारी फैलने के बाद उत्पन्न हालात में नौकरी छूट जाने की वजह से वे कर्ज नहीं चुका पाए।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जांच जारी है और कुछ बकायेदारों ने रकम चुकाने की इच्छा जताई है।