मुद्रास्फीति-वृद्धि संतुलन बहाल करना आरबीआई के समक्ष सबसे महत्वपूर्ण कार्य: गवर्नर दास

मुद्रास्फीति-वृद्धि संतुलन बहाल करना आरबीआई के समक्ष सबसे महत्वपूर्ण कार्य: गवर्नर दास

मुंबई, 10 दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निवर्तमान गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मंगलवार को कहा कि मुद्रास्फीति-वृद्धि संतुलन को बहाल करना केंद्रीय बैंक के समक्ष सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।

केंद्रीय बैंक प्रमुख के रूप में अपने छह साल के कार्यकाल के अंतिम दिन संवाददाता सम्मेलन में दास ने कहा कि उनके उत्तराधिकारी को बदलती विश्व व्यवस्था को समझना होगा, साइबर खतरों से प्रभावी ढंग से निपटना होगा और नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

उन्होंने उम्मीद जताई कि नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के अलावा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) और यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) जैसी आरबीआई की पहलों को आगे बढ़ाएंगे।

केंद्रीय बैंक के समक्ष मुद्दों को सूचीबद्ध करते हुए दास ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक मुद्रास्फीति तथा वृद्धि के बीच संतुलन बहाल करना होगा।

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली व मजबूत बनी है और इसमें वैश्विक प्रभावों से उचित तरीके से निपटने की क्षमता है।

सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ​​को केंद्रीय बैंक का प्रमुख नियुक्त किया है, जो बुधवार को केंद्रीय बैंक के प्रमुख का पदभार संभालेंगे।

छह साल बाद सेवानिवृत्त हो रहे दास ने कहा कि वित्त मंत्रालय तथा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बीच समन्वय पिछले छह वर्षों में सबसे बेहतर रहा है।

उन्होंने साथ ही कहा कि वित्त मंत्रालय तथा आरबीआई का नजरिया कभी-कभी अलग-अलग हो सकता है, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान ऐसे सभी मुद्दों को आंतरिक चर्चा के जरिये सुलझा लिया गया।

सवालों का जवाब देते हुए दास ने कहा कि आरबीआई गवर्नर व्यापक अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हैं और अंततः प्रत्येक गवर्नर यह निर्णय लेता है।

एक विशिष्ट प्रश्न के उत्तर में दास ने कहा कि हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है, लेकिन जैसा कि वे देखते हैं वृद्धि केवल रेपो दर से नहीं, बल्कि कई कारकों से प्रभावित होती है।

उन्होंने कहा कि आरबीआई का प्रयास मौजूदा आर्थिक स्थितियों और संभावनाओं को देखते हुए मौद्रिक नीति को यथासंभव उपयुक्त बनाने का रहा है।

विनिर्माण और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण चालू वित्त वर्ष 2024-25 की सितंबर तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5.4 प्रतिशत रह गई जो दो साल का सबसे निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

सरकार ने आरबीआई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर कायम रखने का लक्ष्य दिया है।