दिल्ली में वैध पीयूसी न होने पर 2.6 लाख गाड़ियों का कटा 260 करोड़ रुपये से ज्यादा का चालान
(नेहा मिश्रा)
नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में अधिकारियों ने वायु प्रदूषण की खराब स्थिति के बीच सिर्फ 50 दिन में प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) नहीं होने पर 2.6 लाख से ज्यादा गाड़ियों का 260 करोड़ रुपये से ज्यादा का चालान कर दिया।
यह कार्रवाई क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत की गई।
पर्यावरण विभाग ने 16 अक्टूबर से छह दिसंबर के बीच जीआरएपी के सभी चार चरणों के दौरान 2,60,258 चालान जारी किए।
विभाग ने 16 अक्टूबर से 22 अक्टूबर के बीच के पहले चरण के दौरान कुल 12,756 चालान किए जबकि 22 अक्टूबर से 14 नवंबर के बीच जीआरएपी के दूसरे चरण के दौरान 1,11,235 चालान, 15 से 17 नवंबर के बीच जीआरएपी के तीसरे चरण में 13,938 चालान तथा 18 नवंबर से पांच दिसंबर के बीच जीआरएपी के चौथे चरण के दौरान 1,14,089 चालान जारी किए।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बृहस्पतिवार को चौथे चरण के प्रतिबंध हटा दिए जाने के बाद दूसरे चरण की पाबंदियां लागू हैं तथा इस दौरान 8,240 चालान जारी किए गए।
वैध प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाण पत्र न होने पर वाहन चालक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता 17 नवंबर को खतरनाक स्तर पर पहुंच गई थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 दर्ज किया गया। यह इस साल पहली बार बेहद गंभीर श्रेणी में पहुंचा था।
इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जीआरएपी के तहत चौथे चरण के प्रतिबंध लागू कर दिए थे।
चौथे चरण के तहत प्रतिबंध 18 नवंबर की सुबह लागू हुए, जब एक्यूआई का स्तर खतरनाक 494 तक पहुंच गया जो छह वर्षों में शहर में दूसरी सबसे खराब वायु गुणवत्ता थी।
वैध पीयूसी न होने पर सबसे ज्यादा वाहनों के चालान जीआरएपी के चौथे चरण के तहत किए गए। 18 नवंबर से पांच दिसंबर के बीच कुल 1,14,089 गाड़ियों के चालान किए गए।
इसके अलावा, कुल मिलाकर, जीआरएपी के विभिन्न चरणों के तहत 11,427 पुराने वाहनों को जब्त किया गया। सबसे ज़्यादा 5,346 पुराने वाहन 22 अक्टूबर से 14 नवंबर के बीच जब्त किए गए जब जीआरएपी का दूसरा चरण लागू था।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इसके बाद 18 नवंबर से पांच दिसंबर तक जीआरएपी के चौथे चरण के प्रतिबंधों के दौरान 3,679 वाहन जब्त किए गए।
प्रतिबंधों के दौरान 1,04,768 ट्रकों को ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल सड़कों के जरिए भेजा गया, क्योंकि उस दौरान ऐसे ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश पर रोक थी जिन्हें राष्ट्रीय राजधानी से होकर गुजरना था।
जीआरएपी के अलग अलग चरण लागू रहने के दौरान उन 730 गाड़ियों के चालान किए गए जो मलबे को बिना ढके ले जा रहे थे।