चीन में नाबालिगों के वीडियो गेम खेलने पर समय की पाबंदियां, बच्चों ने खोज लिए बचने के तरीके
(तियान्यी झांगशाओ, बेन एग्लिस्टन, मार्कस कार्टर- यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी)
सिडनी, नौ दिसंबर (द कन्वरसेशन) ऑस्ट्रेलिया की संघीय संसद ने नवंबर महीने में 16 साल से कम उम्र के लोगों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर पाबंदी के लिए एक ऐतिहासिक विधेयक पारित किया था।
इस विधेयक के विवरण अस्पष्ट हैं:
हमारे पास इस बात की पूरी सूची नहीं है कि कौन से सोशल मीडिया मंच इस कानून के अंतर्गत आएंगे, या व्यवहार में प्रतिबंध कैसा होगा। हालांकि, सरकार ने संकेत दिया है कि आयु का पता लगाने संबंधी प्रौद्योगिकियों का उपयोग इस कानून के प्रवर्तन के केंद्र में होगा।
ऑस्ट्रेलिया में सोशल मीडिया पर पाबंदी में फिलहाल वीडियो गेम और ऑनलाइन गेम मंचों को शामिल नहीं किया गया है। लेकिन हम पूर्वानुमान लगा सकते हैं कि नाबालिगों के वीडियो गेम खेलने पर प्रतिबंध के लिए चीन द्वारा आयु सत्यापन प्रौद्योगिकियों के बड़े पैमाने पर उपयोग को देखकर ऑनलाइन प्रतिबंध लागू करना कैसे काम (नहीं) कर सकता है।
चीन में, सख्त नियम है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को निर्दिष्ट दिनों में केवल एक घंटे ऑनलाइन गेमिंग की इजाजत है। यह दृष्टिकोण अनुपालन सुनिश्चित करने से लेकर गोपनीयता की सुरक्षा तक, ऐसे नियमों को लागू करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों को उजागर करता है।
‘आध्यात्मिक अफीम’: चीन में वीडियो गेम
चीन में वीडियो गेम उद्योग का स्तर बहुत बड़ा है। ‘टेनसेंट’ जैसी दिग्गज प्रौद्योगिकी चीनी कंपनियां वैश्विक गेमिंग परिदृश्य को तेजी से आकार दे रही हैं। हालांकि, बच्चों द्वारा वीडियो गेम के इस्तेमाल का सवाल चीन में बहुत अधिक पेचीदा मुद्दा है।
देश में वीडियो गेम को लत और नुकसान से जोड़ने का एक गहरा सांस्कृतिक और सामाजिक इतिहास है, जिसे अक्सर ‘आध्यात्मिक अफीम’ के रूप में संदर्भित किया जाता है। यह विमर्श गेमिंग को युवाओं की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक भलाई के लिए संभावित खतरे के रूप में पेश करता है।
चीन में माता-पिता की चिंता ने बच्चों के ऑनलाइन गेम खेलने पर सख्त नियम लागू करने का मार्ग प्रशस्त किया है। इस दृष्टिकोण को व्यापक रूप से माता-पिता का समर्थन मिला है। वर्ष 2019 में, चीन ने 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए गेमिंग का समय सप्ताह के दिनों में प्रतिदिन 90 मिनट और सप्ताहांत में तीन घंटे तक सीमित करने के लिए एक कानून पेश किया था। ‘कर्फ्यू’ के तहत रात 10 बजे से सुबह 8 बजे तक ऑनलाइन गेम पर पाबंदी का प्रावधान था।
साल 2021 में किए गए संशोधन ने शुक्रवार, शनिवार, रविवार और सार्वजनिक छुट्टियों पर ऑनलाइन गेम खेलने के समय को केवल रात 8 बजे से रात 9 बजे तक सीमित कर दिया। चीन ने 2023 में ऑनलाइन गेमिंग से परे इस विनियामक ढांचे का विस्तार करते हुए लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म, वीडियो-शेयरिंग साइट्स और सोशल मीडिया को भी इसमें शामिल किया।
इसे कैसे लागू किया जाता है?
चीन की प्रमुख गेम कंपनियां इन विनियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न अनुपालन तंत्र लागू कर रही हैं। कुछ गेम में आयु-सत्यापन प्रणाली को शामिल किया गया है, जिसमें खिलाड़ियों से आयु की पुष्टि के लिए अपना वास्तविक नाम और आईडी प्रदान करने का अनुरोध किया जाता है। कुछ में नाबालिगों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए चेहरे की पहचान भी शुरू की है। इसने गोपनीयता संबंधी चिंताओं को जन्म दिया है।
इसके समांतर मोबाइल उपकरण निर्माताओं, ऐप स्टोर और ऐप निर्माताओं ने ‘माइनर मोड’ पेश किए हैं। यह मोबाइल गेम और ऐप पर एक ऐसी सुविधा है जो निर्दिष्ट समय सीमा तक पहुंचने के बाद उपयोगकर्ता के सोशल मीडिया उपयोग को सीमित करती है।
चीन के सख्त नियमों के बावजूद, कई बच्चे इनसे बचने के तरीके खोज लेते हैं। हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सर्वेक्षण में शामिल 77 प्रतिशत से अधिक नाबालिगों ने अपने से उम्र में बड़े रिश्तेदारों या दोस्तों के नाम से अकाउंट पंजीकृत करके वास्तविक नाम सत्यापन से बचने की कोशिश की।
इसके अलावा, चीन में ऐसा बाजार भी पनपा है जिसमें नाबालिगों को प्रतिबंधों से बचने के लिए अकाउंट किराए पर दिए जाते हैं या बेचे जाते हैं।
नाबालिगों द्वारा चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक को सफलतापूर्वक मात देने के भी उदाहरण मिले हैं, जैसे बड़े लोगों की तस्वीरों का उपयोग करना। इससे इस तकनीक-आधारित नियंत्रण की सीमाएं पता चलती हैं।
विनियमन ने नाबालिगों के लिए अनपेक्षित जोखिम भी पेश किए हैं, जिसमें गेम अकाउंट विक्रेताओं से जुड़े घोटालों का शिकार होना शामिल है।
इस तरह के सामने आए एक मामले में, प्रतिबंधों को दरकिनार करने का प्रयास करते समय लगभग 3,000 नाबालिगों से सामूहिक रूप से 86,000 युआन (लगभग 18,500 डॉलर) से अधिक की ठगी की गई।
ऑस्ट्रेलिया चीन से क्या सीख सकता है?
कानून पेश किए जाने से पहले, हमने और कई सहकर्मियों ने तर्क दिया कि संदिग्ध प्रभाव के जोखिम वाले तकनीकी उपायों के माध्यम से लागू किए गए पूर्ण प्रतिबंध आक्रामक और अप्रभावी दोनों हो सकते हैं। वे बच्चों के लिए ऑनलाइन जोखिम भी बढ़ा सकते हैं।
इसके बजाय, ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण बनाने के लिए विभिन्न प्लेटफॉर्म के साथ काम करना चाहिए। यह आयु के लिहाज से उपयुक्त सामग्री के फिल्टर, अभिभावकों के नियंत्रण और स्क्रीन टाइम प्रबंधन सुविधा जैसे उपकरणों का उपयोग करके किया जा सकता है।
(द कन्वरसेशन) वैभव पवनेश