भारतीय ऋषियों ने ही धर्म को वास्तविक अर्थों में समझा, धर्म सिर्फ पूजा पद्धति नहीं है : योगी
कानपुर, आठ दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि दुनिया में सिर्फ भारतीय ऋषियों ने ही धर्म को वास्तविक अर्थों में समझा है और सिर्फ पूजा पद्धति ही मजहब नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म का कोई भी अनुयायी यह नहीं कह सकता कि सिर्फ मंदिर जाने वाला ही हिंदू है।
कानपुर में एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए आदित्यनाथ ने कहा, ''धर्म का मार्ग बहुत विराट है। वास्तव में दुनिया के अंदर धर्म को भारतीय ऋषियों ने समझा है। यह सिर्फ उपासना विधि नहीं है। किसी ऋषि ने यह कभी नहीं कहा कि जो मैं कह रहा हूं, वही सत्य है बल्कि कहा कि देश, समाज के लिए जो अच्छा लगे, उसका आचरण कर आगे बढ़ो।''
उन्होंने कहा, ''कोई सनातन धर्मावलंबी यह नहीं कह सकता कि जो मंदिर जाए, वो ही हिंदू है। वेदों-शास्त्रों में विश्वास करुं या नहीं, तब भी मेरा हिंदुत्व मुझे लेकर चलेगा। हमने धर्म को उपासना विधि, ईष्ट या ग्रंथ तक सीमित नहीं किया। कर्तव्य, सदाचार व नैतिक मूल्य का प्रवाह ही भारतीय परंपरा में धर्म माना गया है।''
मुख्यमंत्री रविवार को रामा विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने डॉक्टर बीएस कुशवाहा आयुर्विज्ञान संस्थान का उद्घाटन किया और उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई दी।
उन्होंने समाज सुधार और सामाजिक विज्ञान के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ''लिखने की आदत डालें, तकनीक से भागे नहीं। जो समाज सुधार और विज्ञान से भागा, वह कभी आगे नहीं बढ़ पाया।''
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1989 तक 80 करोड़ आबादी में देश में केवल आधा फीसद लोगों के पास टेलीफोन की सुविधा थी, थोड़ा प्रयास हुआ तो यह संख्या दो फीसदी हुई।
उन्होंने कहा कि इस मामले में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में साल 1999 में कदम उठाए गए तो आज भारत में 100 करोड़ लोगों के पास स्मार्ट फोन है।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब टेलीफोन के कूपन बिकते थे, लैंडलाइन टेलीफोन के लिए सिफारिश होती थी, लेकिन 5जी के इस्तेमाल के बाद अब 6जी की तैयारी जारी है।
आदित्यनाथ ने 'डिजिटल अरेस्ट' से बचने के लिए ‘क्रॉस वेरिफिकेशन’ की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, ''डिजिटल अरेस्ट के बारे में समाचार सुनने को मिल रहे हैं। उसके सुरक्षात्मक उपायों व नैतिक निहितार्थों के बारे में तय करना संस्थानों व उपयोगकर्ता का कार्य है। डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए क्रॉस वेरिफिकेशन की आवश्यकता है।''