ओटीटी मंच पर ‘स्त्री 2’, ‘औरो में कहां दम था’ को सुलभ बनाने की मांग को लेकर याचिका दायर
नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दो दृष्टिबाधित व्यक्तियों की याचिका पर ‘स्त्री 2’ और ‘औरो में कहां दम था’ के निर्माताओं तथा ओटीटी मंच अमेजन से जवाब मांगा है। याचिका में फिल्मों को दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए सुलभ बनाने को लेकर निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने अक्षत बलदवा और राहुल बजाज की याचिका पर निर्माताओं, ओटीटी मंच के साथ-साथ केंद्र को नोटिस जारी किया और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पक्ष सुनवाई की अगली तारीख से पहले उचित समाधान निकाल लेंगे।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जब फिल्में ओटीटी मंच पर जारी हुई थीं, तब उन्होंने निर्माताओं को इसे सुलभ बनाने को लेकर पत्र लिखा था और उन्हें जवाब मिला था कि वे इसके लिए अमेजन के संपर्क में हैं।
अदालत ने पांच दिसंबर के आदेश में कहा, ‘‘प्रतिवादी नंबर चार ओटीटी मंच को इस संबंध में निर्माता के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत को उम्मीद है कि उक्त पक्ष अगली सुनवाई की तारीख से पहले एक उचित समाधान निकाल लेंगे।’’
पेशे से वकील बजाज ने दलील दी कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत सरकार पर यह दायित्व डाला गया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध सभी सामग्री सुलभ प्रारूप में हो।
याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि दोनों फिल्में दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए ऑडियो विवरण और श्रवण बाधित व्यक्तियों के लिए समान भाषा में कैप्शन जैसी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताओं की कमी के कारण सुलभ नहीं हैं।
याचिका में कहा गया है कि ये विशेषताएं मनोरंजन सामग्री द्वारा प्रदान किए जाने वाले सांस्कृतिक, सामाजिक और शैक्षिक लाभों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। याचिका में गया है कि केंद्र ने ‘श्रवण और दृश्य बाधित व्यक्तियों के लिए सिनेमा थिएटर में फीचर फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन में पहुंच मानकों को लेकर दिशानिर्देश’ अधिसूचित किए हैं, लेकिन इनमें ओटीटी मंच पर सामग्री की पहुंच के लिए कोई प्रावधान नहीं है। मामले पर 19 दिसंबर को सुनवाई होगी।