‘आरबीआई का कदम संतुलित, क्षेत्र को गति देने के लिए आगामी समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती जरूरी’
नयी दिल्ली, छह दिसंबर अगस्त (भाषा) जमीन, मकान के विकास से जुड़ी कंपनियों तथा विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो दर को यथावत रखने और सीआरआर में कटौती का फैसला आर्थिक वृद्धि को गति देने तथा नकदी बनाये रखने के लिहाज से एक संतुलित कदम है और यह रियल एस्टेट क्षेत्र की विकास की आवश्यकता के अनुरूप है।
हालांकि उन्होंने आवास क्षेत्र को गति देने के लिए अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में शुक्रवार को लगातार 11वीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। वहीं, अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के मकसद से सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) को 4.5 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत कर दिया। इस कदम से बैंकों में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी।
रियल एस्टेट क्षेत्र के शीर्ष निकाय नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी. हरि बाबू ने कहा, ‘‘ भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने तथा सीआरआर को 0.5 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत करने का निर्णय नगदी को बढ़ावा देते हुए आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण है। यह कदम, बाजार की बदलती गतिशीलता के बीच रियल एस्टेट क्षेत्र की विकास की आवश्यकता के अनुरूप है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, हमें उम्मीद है कि आरबीआई अपने अगले फैसले में किफायती आवास को और अधिक बढ़ावा देने के लिए रेपो दरों को कम करने पर विचार करेगा।’’
क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोमन ईरानी ने भी फैसले का स्वागत किया और कहा कि मुद्रास्फीति के निरंतर दबावों से उत्पन्न चुनौतियों के बीच रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय आर्थिक तथा मूल्य स्थिरता के बीच संतुलन बनाने की दिशा में उचित रुख को दर्शाता है।’’
हालांकि उन्होंने नये साल में प्रमुख नीतिगत में कटौती की उम्मीद जाहिर की।
ईरानी ने कहा, ‘‘ रियल एस्टेट और कृषि क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि की संभावनाएं हैं। इसके मद्देनजर हमें उम्मीद है कि नये साल में आरबीआई और सरकार मजबूत व टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के लिए नीतिगत हस्तक्षेपों तथा कम ब्याज दर का रुख अपनाएगी।’’
गौड़ ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और क्रेडाई के चेयरमैन मनोज गौड़ ने कहा, ‘‘ हम आरबीआई के रेपो दर को स्थिर रखने के फैसले की सराहना करते हैं। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो एक साल में पहली बार आरबीआई के लक्ष्य सीमा से ऊपर गई। ऐसे में नीतिगत दर पर स्थिरता बनाए रखने का फैसला स्वागत योग्य है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह कदम दिखाता है कि केंद्रीय बैंक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो अंततः रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। ’’
सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लि. के संस्थापक एवं चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा, ‘‘ रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने तथा सीआरआर को 0.5 प्रतिशत घटाने का निर्णय आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने तथा वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए एक संतुलित और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह निरंतरता रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक स्थिर परिवेश तैयार करता है जिसमें डेवलपर आत्मविश्वास के साथ योजना बना सकते हैं तथा मकान खरीदने वाले अनुकूल उधार लागतों से लाभान्वित हो सकते हैं।’’
कोलियर्स इंडिया के वरिष्ठ निदेशक एवं अनुसंधान प्रमुख विमल नादर कहा, ‘‘...भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए अच्छे संकेत हैं। देश के प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री 2024 में मजबूत स्तर पर समाप्त होने की संभावना है। ’’
अंसल हाउसिंग के निदेशक कुशाग्र अंसल ने कहा, ‘‘ नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए सराहनीय कदम है। मजबूत जीडीपी वृद्धि और नियंत्रित महंगाई के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन शानदार बना हुआ है, जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र को निरंतर सफलता की ओर बढ़ने का अवसर मिलेगा।’’
भूमिका ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक उद्धव पोद्दार ने कहा कि आरबीआई का रेपो दर स्थिर रखने का फैसला स्थिति को मजबूत दिखाता है, लेकिन रियल एस्टेट इंडस्ट्री को दरों में कटौती से फायदा होगा, क्योंकि रेपो दर घर खरीदने की कीमत और लोन चुकाने के तरीके को प्रभावित करता है, जो सीधे रियल एस्टेट सेक्टर की तरक्की से जुड़ा है।
अनंत राज लि. के निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमन सरीन ने कहा, ‘‘आरबीआई की मौद्रिक नीति वास्तव में सभी क्षेत्रों में भारतीय बाजारों को और अधिक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक शानदार कदम है। केंद्रीय बैंक के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को कम करने से बैंकों के पास अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी, जिससे वे खुदरा और संस्थागत उधारकर्ताओं को अधिक ऋण प्रदान करने में सक्षम होंगे।’’
सीबीआरई के चेयरमैन एवं सीईओ अंशुमान मैगज़ीन (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) ने कहा, ‘‘ ‘‘ रेपो दर को स्थिर रखने का आरबीआई का निर्णय मुद्रास्फीति की चिंताओं के साथ आर्थिक वृद्धि को संतुलित करने के उसके रुख को दर्शाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ स्थिर ब्याज दर के साथ, हम विशेष रूप से किफायती और मध्यम श्रेणियों में मांग बने रहने की उम्मीद करते हैं। आरबीआई के सीआरआर में 0.50 प्रतिशत की कटौती से बैंकों में 1.16 लाख करोड़ रुपये की नकदी आने की उम्मीद है, जिससे बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ेगी और आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी।’’