बांग्लादेश में व्याप्त अशांति के कारण पड़ोसी देश के व्यापारी कोलकाता व्यापार मेले में नहीं आए
कोलकाता, पांच दिसंबर (भाषा) बांग्लादेश में जारी अशांति और अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों के बीच पड़ोसी देश के व्यापारी कोलकाता व्यापार मेले में नहीं आए, लेकिन स्थानीय व्यापारियों ने उनके स्टॉल का प्रबंधन संभाला और उनके उत्पाद बेचे। हितधारकों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
भारतीय व्यापार मेलों में पारंपरिक जामदानी साड़ियों और एफएमसीजी उत्पादों को बेचने के लिए मशहूर व्यापारी ‘‘बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन और वहां मानवाधिकार संकट के मद्देनजर वीजा प्रतिबंधों’’ के कारण इस अस्थायी बाजार में शामिल नहीं हो पाए हैं।
आयोजकों के अनुसार, कम से कम सात बांग्लादेशी व्यापारी, वीजा हासिल करने में असफल रहे । उन्हें 30 नवंबर को कोलकाता के पूर्वी इलाके न्यू टाउन में शुरू हुए इंडिया इंटरनेशनल ग्रैंड ट्रेड फेयर (आईआईजीटीएफ) में शामिल होना था ।
मेले के एक आयोजक ने बताया कि आमतौर पर, ये अंतरराष्ट्रीय व्यापारी हर साल फरवरी-मार्च तक सर्दियों के मौसम में कोलकाता और अन्य भारतीय शहरों में कई व्यापार मेलों में भाग लेते हैं ।
भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष एन जी खेतान ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हमारी जानकारी के अनुसार, सात बांग्लादेशी व्यापारियों को इस मेले में आना था, लेकिन वे वीजा संबंधी समस्याओं के कारण नहीं आ सके।’’
इस मेले का आयोजन भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स ने सीसीजी मार्केटिंग एंड सर्विसेज के सहयोग से किया है।
आईआईजीटीएफ 2024 मेले में आठ देशों और 16 भारतीय राज्यों के व्यापारी भाग ले रहे हैं। यह मेला 15 दिसंबर तक चलेगा।
एक व्यापारी ने कहा, ‘‘पड़ोसी देश में संकट बढ़ने से पहले भेजे गए कुछ बांग्लादेशी फैशन आइटम और साड़ी की खेप अब भी कुछ स्टॉल पर उपलब्ध हैं, जिसका श्रेय उनके स्थानीय सहयोगियों को जाता है।’’
एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, ‘‘ये असली ढाकाई जामदानी साड़ियां हैं।’’ यह व्यवसायी एक बांग्लादेशी व्यापारी के लिये काम कर रहा है, लेकिन उसने आगे कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
स्थानीय सहयोगियों को यह भी डर है कि पड़ोसी देश में हिंदुओं पर अत्याचार की खबरों के बीच बांग्लादेशी सामान की बिक्री कम हो सकती है।
एक अन्य आयोजक ने कहा, ‘‘बांग्लादेशी व्यापारियों की अनुपस्थिति को गहराई से महसूस किया जा रहा है, क्योंकि आमतौर पर कोलकाता में व्यापार मेलों में साड़ी की बिक्री का एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेशी व्यापारियों का होता है।’’