अहमदाबाद : गलत एंजियोप्लास्टी के आरोपी अस्पताल का निदेशक गिरफ्तार
अहमदाबाद, चार दिसंबर (भाषा) गुजरात के एक निजी अस्पताल में पिछले महीने गलत एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया के बाद दो पीएमजेएवाई लाभार्थियों की मौत के सिलसिले में संस्थान के एक निदेशक को बुधवार को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि नवीनतम गिरफ्तारी के साथ अब तक इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिनमें अहमदाबाद स्थित एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के सीईओ और विपणन निदेशक भी शामिल हैं।
अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक कि एक गुप्ता सूचना के आधार पर उसने गोटा क्षेत्र से बैरिएट्रिक सर्जन और अस्पताल के निदेशकों में से एक डॉ. संजय पटोलिया को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने बताया कि बैरिएट्रिक्स विभाग में पूर्णकालिक चिकित्सक डॉ. पटोलिया ने अस्पताल के चेयरमैन कार्तिक पटेल और विपणन निदेशक चिराग राजपूत सहित अन्य प्रमुख आरोपियों के साथ मिलकर मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल की शुरुआत की थी।
पुलिस ने बताया कि यह जांच दो मृतकों परिवारों की शिकायतों के बाद शुरू की गई थी। दोनों उन सात व्यक्तियों में शामिल थे, जिनकी 11 नवंबर को अस्पताल में एंजियोप्लास्टी हुई थी।
एंजियोप्लास्टी एक ऐसी प्रक्रिया है जो हृदय में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए अवरुद्ध या संकुचित कोरोनरी धमनियों को चौड़ा करती है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि दो व्यक्तियों की मौत के बाद डॉ. पटोलिया राजकोट के एक अन्य अस्पताल गए और फिर एक निजी बस से उदयपुर भाग गए तथा अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया।
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तारी से बचने के लिए वह दिल्ली, नाथद्वारा, पाली और अजमेर सहित विभिन्न स्थानों पर गए और वह रात में बसों में यात्रा करते थे।
विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘अस्पताल के निदेशकों में से एक होने के नाते, डॉ. पटोलिया मरीजों के उपचार, नए विभाग शुरू करने और चिकित्सकों की नियुक्ति से संबंधित सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेते थे।’’
विज्ञप्ति के मुताबिक दो अन्य आरोपियों अस्पताल के अध्यक्ष कार्तिक पटेल और निदेशक राजश्री कोठारी अभी भी फरार हैं। पुलिस के मुताबिक कार्तिक पटेल विदेश में हैं।
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि अस्पताल ने पीएमजेएवाई (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) कार्डधारकों को एंजियोप्लास्टी कराने के लिए राजी करने हेतु गांवों में निःशुल्क जांच शिविर आयोजित किए जबकि इसकी कोई चिकित्सीय आवश्यकता नहीं थी।