शीर्ष अदालत में सूरजगढ़ आगजनी मामले में गाडलिंग की जमानत अर्जी पर सुनवाई 18 दिसंबर के लिए टली

शीर्ष अदालत में सूरजगढ़ आगजनी मामले में गाडलिंग की जमानत अर्जी पर सुनवाई 18 दिसंबर के लिए टली

नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र में गढ़चिरौली जिले के सूरजगढ़ में 2016 में लौह अयस्क खान में हुई आगजनी के सिलसिले में वकील सुरेंद्र गाडलिंग की जमानत अर्जी पर सुनवाई बुधवार को 18 दिसंबर के लिए स्थगित कर दी ।

न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने तब मामले की सुनवाई स्थगित कर दी जब महाराष्ट्र सरकार के वकील ने यह कहते हुए सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया कि कुछ दस्तावेजों का अनुवाद कराये जाने की जरूरत है।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान गाडलिंग की ओर से पीठ के सामने पेश होते हुए वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने कहा कि उनके मुवक्किल करीब छह साल से जेल में हैं एवं इस मामले पर सुनवाई की जरूरत है। पीठ ने राज्य सरकार को अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया।

शीर्ष अदालत ने 10 अक्टूबर, 2023 को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था और उससे चार हफ्ते में इस याचिका पर जवाब मांगा था।

माओवादियों ने 25 दिसंबर, 2016 को उन 76 वाहनों में कथित रूप से आग लगा दी थी जिनका इस्तेमाल सूरजगढ़ की खानों से लौह अयस्क की ढुलाई के लिए किया जा रहा था।

गाडलिंग पर जमीनी स्तर पर काम कर रहे माओवादियों की सहायता करने का आरोप है। उन पर मामले में फरार लोगों सहित कई सह-आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रचने का भी आरोप है।

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने 31 जनवरी, 2023 को गाडलिंग को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उनके खिलाफ लगे आरोप प्रथम दृष्टया सत्य हैं।

उन पर अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम तथा भादंसं के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। अभियोजन पक्ष का दावा है कि गाडलिंग ने भूमिगत माओवादियों तक सरकारी गतिविधियों की गोपनीय सूचना पहुंचायी तथा कुछ क्षेत्रों के मानचित्र उन्हें उपलब्ध कराये।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक गाडलिंग ने कथित रूप से माओवादियों से सूरजगढ़ खान में परिचालन का विरोध करने को कहा तथा स्थानीय लोगों को इस मुहिम से जुड़ने के लिए उकसाया।

गाडलिंग एलगार परिषद-माओवादी संबंध मामले का भी सामना कर रहे हैं। इसका संबंध 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में हुए एलगार परिषद सम्मेलन में दिये गये कथित भड़काऊ भाषणों से है जिसके अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी। पुलिस का दावा है कि इसी भड़काऊ भाषण के बाद हिंसा भड़की थी।

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