दो परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी मिली : एडमिरल त्रिपाठी
नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने सोमवार को कहा कि सरकार ने परमाणु चालित दो स्वदेशी हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी है तथा अगले महीने 26 राफेल जेट विमानों के नौसेनिक संस्करण और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
नौसेना दिवस से पहले संवाददाता सम्मेलन में एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि नौसेना हिंद महासागर में चीनी नौसेना की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रही है। उन्होंने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत के मद्देनजर उसकी नौसेना के विकास को ‘‘आश्चर्यजनक’’ बताया।
उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना अपने परिचालन क्षेत्र में किसी भी अतिक्रमण को रोकने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है। नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम अपने पड़ोसियों की ओर से आने वाले सभी खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’
नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारत अपने बेड़े में अगले 10 वर्षों में लगभग 95 जहाजों को शामिल करेगा क्योंकि 2047 तक भविष्य के लिए तैयार नौसैन्य बल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो एक समुद्री शक्ति के रूप में भारत के पुनरुत्थान को मजबूत करेगा तथा विश्वसनीय प्रतिरोध सुनिश्चित करेगा।
सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा दो परमाणु हमलावर पनडुब्बियों (एसएसएन) के निर्माण को मंजूरी दिए जाने के बारे में एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि पहली पनडुब्बी को 2036-37 तक तथा दूसरी को उसके लगभग दो वर्ष बाद चालू करने की योजना है।
भारत की नौसैनिक ताकत को बढ़ाने के उपायों का उल्लेख करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि फ्रांस से 26 राफेल के नौसैनिक संस्करण खरीदने का अनुबंध और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण का सौदा अगले महीने तक होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि इस महीने नहीं तो अगले महीने इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। दोनों (स्कॉर्पीन पनडुब्बी) और राफेल-एम (परियोजना) पर हस्ताक्षर हो जाने चाहिए।’’
पिछले साल जुलाई में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस से राफेल-एम जेट विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए किया जाएगा। मंत्रालय ने भी फ्रांस से तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को मंजूरी दे दी है।
भारतीय नौसेना की परियोजना 75 के तहत, फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा भारत में पहले ही छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण किया जा चुका है।
नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारत चीनी पीएलए नौसेना की गतिविधियों और पाकिस्तानी नौसेना के विकास पर बारीकी से नजर रख रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पाकिस्तानी नौसेना की आश्चर्यजनक वृद्धि से अवगत हैं, जिसका लक्ष्य 50 जहाजों वाली नौसेना बनना है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को देखकर बहुत हैरानी होती है कि वे इतने सारे जहाज और पनडुब्बियां कैसे बना रहे हैं या बनवा रहे हैं। निश्चित रूप से उन्होंने अपने लोगों के कल्याण के बजाय हथियारों को चुना है।’’
चीन द्वारा पाकिस्तान की समुद्री ताकत बढ़ाने में मदद के बारे में नौसेना प्रमुख ने कहा कि इससे पता चलता है कि चीन पाकिस्तान को सैन्य रूप से मजबूत बनाने में दिलचस्पी रखता है।
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी आठ नयी पनडुब्बियां पाकिस्तानी नौसेना के लिए महत्वपूर्ण लड़ाकू क्षमता होगी, लेकिन हम उनकी क्षमताओं से पूरी तरह अवगत हैं। यही कारण है कि हम अपने पड़ोसियों से सभी खतरों से निपटने में सक्षम होने के लिए अपनी अवधारणाओं में सुधार कर रहे हैं।’’
नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘इसलिए हम अपने संचालन क्षेत्र में किसी भी तरह के उल्लंघन को रोकने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं और हम अपने पड़ोसियों की तरफ से पेश होने वाले सभी खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’’
भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण पर उन्होंने कहा कि अगले एक साल में बड़ी संख्या में साजो-सामान शामिल होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं और कम से कम एक जहाज नौसेना में शामिल किया जाएगा।
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि नौसेना में विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को शामिल करने के प्रयासों को दोगुना कर दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न भारतीय शिपयार्ड में 62 जहाजों और एक पनडुब्बी का निर्माण किया जा रहा है। हमारे पास 31 जहाजों और पनडुब्बियों के लिए प्रारंभिक मंजूरी है, जो सभी भारत में बनाए जाएंगे।’’
दक्षिण चीन सागर में चीन की सैन्य ताकत के प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह ‘‘चिंता का विषय’’ है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि चीन की मंशा विश्व शक्ति बनने की है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि यह प्रशांत महासागर में और अधिक दिखाई देगा और हम यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी रख रहे हैं कि हिंद महासागर क्षेत्र में हमारे हितों पर कोई असर न पड़े।’’