हर कोई अतिरिक्त सीट का भुगतान नहीं कर सकता: कलाकारों ने एयर इंडिया के बैगेज नियम पर कहा
(मनीष सैन)
नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) भारतीय कलाकारों ने एयर इंडिया द्वारा केबिन सामान के रूप में बड़े वाद्ययंत्र ले जाने पर प्रतिबंध लगाने के नियम को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने उनके सामान के गलत प्रबंधन के मुद्दे को उठाया है, जो कथित तौर पर सभी विमानन कंपनियों में एक समस्या है।
कुछ दिनों पहले इंडस क्रीड बैंड के ‘कीबोर्डिस्ट’ जुबिन बालापोरिया ने फेसबुक पर एयर इंडिया की ‘‘अत्यंत भेदभावपूर्ण नीति’’ के खिलाफ आवाज उठाई थी। अन्य संगीतकारों ने भी विमानन कंपनियों द्वारा वाद्ययंत्रों के रख-रखाव के तरीके पर अपनी चिंता व्यक्त की है, जिसके परिणामस्वरूप कई बार सामान क्षतिग्रस्त हो जाता है या खो जाता है।
बालापोरिया ने सोशल मीडिया मंच पर लिखा, ‘‘पहले हमें विमान में गिटार ले जाने की अनुमति थी। अब उन्होंने इसे बंद कर दिया है और संगीतकारों से गिटार के लिए अतिरिक्त सीट का किराया देने के लिए कह रहे हैं। यह हास्यास्पद है। विमानन कंपनी विस्तार विमान में गिटार ले जाने की अनुमति देता था और इंडिगो अभी भी देता है। टाटा समूय के एयर इंडिया ऐसा स्वार्थी रवैया क्यों है। निश्चित रूप से आप कला को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। दिल से काम लें और अपनी आत्मा को वापस पाएं।’’
इस बीच, एयर इंडिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक बयान में स्पष्ट किया गया कि विमानन कंपनी ने निर्धारित आयामों के अनुरूप केबिन के अंदर वाद्ययंत्रों सहित वस्तुओं के परिवहन पर अपनी नीतियों में कोई बदलाव नहीं किया है।
कंपनी ने कहा कि छोटे वाद्ययंत्र, ‘‘जो निर्दिष्ट आयामों के अनुरूप हों, तथा जिनसे अन्य यात्रियों को असुविधा न हो या झटके के दौरान सुरक्षा खतरा उत्पन्न न करते हों, उन्हें विमान में निःशुल्क ले जाने की अनुमति है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘कोई भी वाद्ययंत्र, जो निर्दिष्ट आयामों से बड़ा हो, उसे केबिन में ले जाने की अनुमति है, लेकिन केवल अतिरिक्त बगल वाली सीट आरक्षित करके। बड़े, भारी या विषम आकार के वाद्ययंत्रों को केवल चेक-इन बैगेज के रूप में ले जाना है।’’
‘ड्रम’ वादक वी. सेल्वागणेश (57) के अनुसार यह स्थिति नई नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे नियम ‘‘संगीतकारों के लिए अच्छे नहीं हैं।’’
ग्रैमी पुरस्कार विजेता सेल्वागणेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कल्पना कीजिए कि छोटे बैंड हैं, वे अतिरिक्त सीट का खर्च वहन नहीं कर सकते। मुझे लगता है कि एयर इंडिया पंडित रविशंकर के लिए एक सीट मुफ्त देती थी, तो उन्होंने इसमें बदलाव क्यों किया।’’
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चिंता चेक-इन सामान के साथ किया जाने वाला व्यवहार है, जिसके कारण यात्रा के दौरान लोग ईश्वर का नाम लेने लगते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप टूटने वाले सामान का स्टिकर भी लगाते हैं तो भी उन्हें कोई परवाह नहीं होती। वे बस उन्हें फेंक देते हैं। इसलिए संगीतकार उसे अपने पास रखना चाहते हैं। वाद्य यंत्र खरीदना महंगा पड़ता है।’’
संगीतकार ईश्वर द्विवेदी ने अप्रैल में इंस्टाग्राम पर इसी तरह की एक घटना की जानकारी दी थी। उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें एयर इंडिया के कर्मचारी सामान को एक वैन में फेंकते हुए दिखाई दे रहे थे।
उन्होंने लिखा, ‘‘एयर इंडिया, रतन टाटा, क्या आप नाजुक समान संभालने का यही तरीका अपनाते हैं?’’
दिल्ली के रहले वाल बास गिटारवादक सोनिक शोरी ने कहा कि उनका बैंड, द कॉपीकैट्स, हमेशा ‘‘इवेंट मैनेजर से एयर इंडिया की टिकट बुक न करने के लिए कहते हैं।’’
शोरी ने कहा, ‘‘एक गिटार का आकार एक बड़े केबिन लगेज जितना ही होता है। संगीतकारों को अपना सामान हार्ड केस में चेक-इन करने के लिए कहा जाता है, फिर भी सामान खोने या क्षतिग्रस्त होने का जोखिम बना रहता है। ऐसा अक्सर होता रहता है।’’