काठमांडू : जीएमआर और सतलज के बीच हुए शेयर बंटवारे को नेपाल सरकार की मंजूरी
इस प्रोजेक्ट पर 1620 करोड़ रुपये की लागत आएगी
काठमांडू, 29 नवंबर (हि.स.)। अपर कर्णाली हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में भारतीय कंपनी गांधी मल्लिकार्जुन राव (जीएमआर) की हिस्सेदारी भारत सरकार के स्वामित्व वाले सतलज हाइड्रोपावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को बेचने की प्रक्रिया को नेपाल सरकार ने स्वीकृति दे दी है। इस प्रोजेक्ट में सतलज और आईआरडीए ने भी वित्तीय निवेश करने पर सहमति जताई है। इस परियोजना में नेपाल विद्युत प्राधिकरण को मुफ्त में 27 प्रतिशत स्वामित्व दिया गया है। अनुमान है कि इस प्रोजेक्ट पर 1620 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई निवेश बोर्ड की बैठक में 900 मेगावाट की अपर कर्णाली जलविद्युत परियोजना की शेयर संरचना और अनुबंध संशोधन को बदलने का निर्णय लिया गया। संशोधित ढांचे के मुताबिक अब इस परियोजना में जीएमआर की 34 फीसदी और सतलज की 34 फीसदी हिस्सेदारी होगी। इसी तरह, भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास संगठन (आईआरईडीए) लिमिटेड को 5 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। निवेश बोर्ड के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी सुशील ज्ञवाली ने बताया कि नेपाल और भारत सरकार के बीच 2014 में हुए समझौते के तहत सतलज को अरुण-3 हाइड्रोपावर और जीएमआर को अपर कर्णाली बनाने की अनुमति दी गई थी। इसके बावजूद जीएमआर ने 10 वर्षों के बाद भी वित्तीय प्रबंधन नहीं मिल पाने के कारण अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया।
निवेश बोर्ड के सीईओ ने बताया कि जीएमआर की तरफ से आग्रह करने पर नेपाल सरकार बार-बार इसकी समय सीमा बढ़ा रही थी। पिछली बार जब सरकार ने समय सीमा बढ़ाई थी तो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी बार अपने आदेश में 186 दिनों के भीतर वित्तीय संसाधन जुटाने का समय दिया था। इसके बाद जीएमआर ने अपर कर्णाली में अपने शतप्रतिशत शेयर में से सतलज हाइड्रोपावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और आईआरडीए को देने के लिए नई दिल्ली में एक समझौता किया था। इसी के साथ ही नेपाल विद्युत प्राधिकरण को भी 27 फीसदी शेयर देने का प्रस्ताव करने के बाद नेपाल सरकार से इसकी मंजूरी मिल गई है।
जीएमआर ने 9 सदस्यीय निदेशक मंडल बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन चर्चा के बाद इसे 11 सदस्यीय कर दिया गया है। निवेश बोर्ड के सीईओ ने बताया कि 11 सदस्यों में से 3-3 जीएमआर और सतलज से होंगे, जबकि 2 निदेशक विद्युत प्राधिकरण से नियुक्त किए जाएंगे। इसी तरह आईआरडीए की ओर से 1 निदेशक होगा। 2 स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति की जाएगी। अपर कर्णाली हाइड्रोपावर के निर्माण के बाद इससे उत्पादित 900 मेगावाट बिजली में से नेपाल को 100 मेगावाट बिजली मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी, जबकि भारत अपने यहां खपत के लिए 300 मेगावाट बिजली लेगा। बाकी 500 मेगावाट बिजली भारत की तरफ से बांग्लादेश को अमेरिकी डॉलर में बेची जाएगी, जिसमें 27 फीसदी लाभांश नेपाल को मिलेगा।