रांची : हेमंत सोरेन ने छात्र राजनीति से शुरू की सामाजिक जीवन, अब तीसरी बार बनेंगे मुख्यमंत्री
वह इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण राजनीति में आ गए
रांची, 24 नवंबर (हि.स.)। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राजनीति विरासत में मिली। हेमंत सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन के बेटे हैं और एक जाने-मानें भारतीय राजनेता हैं। वह इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन पारिवारिक परिस्थितियों के कारण राजनीति में आ गए। हेमंत सोरेन अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए पार्टी और राज्य में उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी बन गए।
हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 को बिहार (अब झारखंड में) के रामगढ़ जिले के नेमारा में रूपी और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के घर हुआ था। हेमंत के दो भाई और एक बहन है। उनकी शैक्षणिक योग्यता पटना हाई स्कूल, बिहार से इंटरमीडिएट है। सोरेन की शादी कल्पना सोरेन से हुई है और उनके दो बेटे हैं। उनकी एक बड़ी बहन अंजलि सोरेन और एक छोटा भाई बसंत सोरेन हैं। वह उन्नीसवीं सदी के आदिवासी योद्धा बिरसा मुंडा के प्रबल अनुयायी हैं और उनके साहस और वीरता से प्रेरणा लेते हैं। उनके पिता शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख संस्थापक हैं। चुनाव आयोग के समक्ष दायर हलफनामे के अनुसार, हेमंत ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीआईटी मेसरा, रांची में दाखिला लिया, लेकिन बाहर हो गए।
10 अगस्त 1975 को जन्मे हेमंत सोरेन ने छात्र राजनीति से सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। हेमंत सोरेन ने सबसे पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा में छात्र संगठन की जिम्मेदारी संभाली। 2005 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने दुमका सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन जेएमएम के दिग्गज नेता रहे स्टीफन मरांडी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 24 जून 2009 को वो राज्यसभा के लिए चुने गए। बाद में वे इसी साल दुमका विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने दुमका और बरहेट दोनों विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ बरहेट सीट से जीत मिली। दुमका सीट से उन्हें बीजेपी की लुईस मरांडी से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भी हेमंत सोरेन ने दुमका और बरहेट दोनों सीटों से चुनाव लड़ा। इस बार दोनों सीट से उन्हें जीत मिली। जिसके बाद उन्होंने दुमका सीट से त्यागपत्र दे दिया। फिर इस क्षेत्र में हुए उपचुनाव में उनके छोटे भाई बसंत सोरेन ने दुमका से जीत हासिल की।
इससे पहले 11 सितंबर 2010 को जब अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में भाजपा-जेएमएम गठबंधन की सरकार बनी, तो हेमंत सोरेन उपमुख्यमंत्री भी रहे। बाद में हेमंत सोरेन ने अर्जुन मुंडा सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस-आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई और पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन 2014 के चुनाव में हेमंत सोरेन और उनके सहयोगियों को बहुमत नहीं मिला, जिसके बाद हेमंत सोरेन सात जनवरी 2015 से 28 दिसंबर 2019 तक झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन पहली बार 13 जुलाई 2013 को कांग्रेस और राजद के समर्थन से वह मुख्यमंत्री बने थे। वे इस पद पर 28 दिसंबर 2014 तक रहे। वह दूसरी बार 29 दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री बनें। वर्ष 2014 तक मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने वाले हेमंत सोरेन साल 2014 से 2019 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। साल 2019 में जेएमएम-कांग्रेस-राजद गठबंधन को बहुमत मिलने पर हेमंत सोरेन फिर दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 31 जनवरी 2024 की शाम गिरफ्तारी के बाद चंपाई सोरेन मुख्यमंत्री बने। वह दो फरवरी से 04 जुलाई 2024 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। चंपाई सोरेन का कार्यकाल 153 दिनों का रहा। करीब छह महीने बाद जेल से बाहर आने पर हेमंत सोरेन फिर से तीसरी बार चार जुलाई को मुख्यमंत्री बने। अब वह 28 नवंबर को झारखंड का पुन: मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।