सूरत : राम राज्याभिषेक के बाद अयोध्या में सभी सुखी हो गये : संत शंभू शरण लाटा
राम राज बैठे त्रैलोका, हरषित भये गये सब शोका....
14 वर्ष के वनवास के दौरान राक्षसों का वध करते हुए अंत में रावण वध कर भगवान श्री राम जब अयोध्या लौटते हैं और राज पाठ संभालते हैं। उसके बाद अयोध्या की प्रजा ,जीव- जन्तु सभी सुखी हो गये। संत शंभू शरण लाटाजी महाराज अग्रवाल समाज ट्स्ट और श्री लक्ष्मी नाथ सेवा समिति द्वारा सिटी लाइट स्थत अयोध्या धाम में मंगलवार को राम राज्याभिषेक के प्रसंग की व्याख्या कर रहे थे। संत जी ने कहा कि भगवान राम अपने ईष्ट भोलेनाथ की पूजा - अभिषेक करने के बाद लंका पर चढाई करते हैं। राम जी अपना भला हो जाए और शत्रु रावण का भी अनभल न हो। हम भगवान को मानते हैं लेकिन भगवान की नहीं मानते है। लक्ष्मण जी को शक्ति लगती है, हनुमान जी सुषेन वैद्य को उनके कहने पर संजीवनी बूटी पहाड सहित उठा लाते हैं।
लौट के आजा हनुमान,तुझे भगवान बुलाते हैं,भ्राता लक्ष्मण के अब तू प्राण,तुझे भगवान बुलाते हैं, इस संगीतमयी भजन सुनकर श्रोता झूम उठे। विभीषण के बताने पर श्री राम रावण की नाभि में बाण मार कर रावण वध कर देते है। इसके पूर्व मंदोदरी रावण को बहुत समझाती हैं, लेकिन रावण नहीं समझता है। राम ने विभीषण को लंका का राजा बना देते हैं। उसके बाद अयोध्या अपनी सेना के साथ लौट आते हैं। सीताजी अग्नि में समाहित थी, प्रकट हो जाती हैं। अंत में रावण को कैसे मारा इस पर राम जी ने कहा रावण को रावण का मैं अर्थात अहम मार दिया। संत जी ने बताया कि भगवान राम निषादराज,भरतद्वाज से वापसी में मिलते हुये आते हैं। इससे सीख मिलती है कि बुरे वक्त में जिसने भी मदद की हो,अच्छे समय में उसे नहीं भूलना चाहिए।
राम कथा के अंतिम दिन मंगलवार शाम 6.00 बजे सिटी लाइट सूर्य प्रकाश सोसायटी से कथा स्थल तक शालिग्राम की बारात निकाली गई। बारात में ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते-झूमते बारातियों का कथा स्थल पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। उसके बाद शालिग्राम तुलसी विवाह का आयोजन हुआ।
परमात्मा से चाहते हैं ऐसी ही कृपा आपकी होती रहे।और हमें आपके श्रीमुख से अच्छी बात सुन कर हमारा उद्धार का मार्ग मिलता रहे। आपका समस्त सूरत शहर आभारी है ,आपने वर्तमान में चल रही आधुनिक कथाओं से हट कर असली बातों से अवगत करवाया है।उपरोक्त उद्गार संयुक्त आयोजक के सुशील बजाज ने संत शंभु शरण लाटा का सन्मान करते हुये व्यक्त किये। उसके बाद संजय जगनानी ने दो मुख्य यजमान सुरेश अग्रवाल, रेणुजी, विकाश जी मित्तल व दैनिक यजमान गोपाल देवड़ा, स्व.श्री श्याम लाल देवड़ा परिवार, पवन काबरा, बाबू लाल मित्तल, दशरथ अग्रवाल लखदातार, बनवारी लाल मित्तल, अशोक सिंघल, अशोक टिबरेवाल, देवीदत्त, कैलाशजी, कमल पोद्दार का भी सम्मान किया गया।