नई दिल्ली : जल संसाधनों का संरक्षण और संवर्द्धन सभी की सामूहिक जिम्मेदारी : राष्ट्रपति

सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में पहला पुरस्कार ओडिशा को, उत्तर प्रदेश को दूसरा और गुजरात और पुडुचेरी को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला

नई दिल्ली : जल संसाधनों का संरक्षण और संवर्द्धन सभी की सामूहिक जिम्मेदारी : राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि जल संसाधनों का संरक्षण और संवर्द्धन सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। हमारी सक्रिय भागीदारी के बिना जल-सुरक्षित भारत का निर्माण संभव नहीं है।

राष्ट्रपति मुर्मु ने नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा घोषित नौ श्रेणियों में 38 विजेताओं की सम्मानित किया। सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में पहला पुरस्कार ओडिशा को, उत्तर प्रदेश को दूसरा और गुजरात और पुडुचेरी को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान मिला है। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक प्रशस्ति पत्र और एक ट्रॉफी के साथ-साथ कुछ श्रेणियों में नकद पुरस्कार भी दिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम छोटे-छोटे प्रयासों से जल संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, हमें अपने घरों के नल खुले नहीं छोड़ने चाहिए, इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ओवरहेड वॉटर टैंक से पानी ओवरफ्लो न हो, घरों में जल संचयन की व्यवस्था करनी चाहिए और सामूहिक रूप से पारंपरिक जलाशयों का जीर्णोद्धार करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि पानी हर व्यक्ति के लिए एक बुनियादी आवश्यकता और मौलिक मानव अधिकार है। स्वच्छ जल तक पहुंच सुनिश्चित किए बिना स्वच्छ और समृद्ध समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता। पानी की अनुपलब्धता और खराब स्वच्छता का वंचितों के स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और आजीविका पर अधिक प्रभाव पड़ता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह सर्वविदित तथ्य है कि पृथ्वी पर सीमित मात्रा में ताजा पानी के संसाधन उपलब्ध हैं, फिर भी हम जल संरक्षण और प्रबंधन की अनदेखी करते हैं। ये संसाधन मानव निर्मित कारणों से प्रदूषित और समाप्त हो रहे हैं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि भारत सरकार ने जल संरक्षण और जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि जल संरक्षण हमारी परंपरा का हिस्सा है। हमारे पूर्वज गांवों के पास तालाब बनवाते थे। वे मंदिरों के पास या उनके भीतर जलाशय बनवाते थे, ताकि पानी की कमी होने पर उसमें संग्रहित पानी का इस्तेमाल किया जा सके। दुर्भाग्य से हम अपने पूर्वजों की सीख भूल रहे हैं। कुछ लोगों ने निजी लाभ के लिए जलाशयों पर अतिक्रमण कर लिया है। इससे न केवल सूखे के समय पानी की उपलब्धता प्रभावित होती है, बल्कि अत्यधिक वर्षा होने पर बाढ़ जैसी स्थिति भी पैदा होती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय जल पुरस्कार जल संसाधनों के प्रति प्रासंगिक दृष्टिकोण और कार्यों को बढ़ावा देने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से पुरस्कार विजेताओं के "सर्वोत्तम अभ्यास" आम जनता तक पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का उद्देश्य लोगों में पानी के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना और उन्हें सर्वोत्तम जल उपयोग प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

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