सूरत : दक्षिण गुजरात उत्पादकता परिषद ने आयोजित किया श्रम कानूनों पर जागरूकता सेमिनार

ईएसआईसी, पीएफ और डब्ल्यूसी जैसे कानूनों पर गहराई से चर्चा

सूरत : दक्षिण गुजरात उत्पादकता परिषद ने आयोजित किया श्रम कानूनों पर जागरूकता सेमिनार

सूरत: दक्षिण गुजरात उत्पादकता परिषद (एसजीपीसी) ने हाल ही में एक जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया, जिसमें ईएसआईसी, पीएफ और डब्ल्यूसी जैसे महत्वपूर्ण श्रम कानूनों पर विस्तार से चर्चा की गई। यह सेमिनार दक्षिण गुजरात के उद्योगों को इन कानूनों के बारे में बेहतर समझ प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।

एसजीपीसी, भारत सरकार के उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाली एक संस्था है, जो दक्षिण गुजरात के उद्योगों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए पिछले तीन दशकों से कार्यरत है।

एसजीपीसी के अध्यक्ष नीरव राणा ने कहा कि, "कोई भी व्यवसाय या उद्योग, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, कानूनों का पालन किए बिना नहीं चल सकता। ईएसआईसी, पीएफ और डब्ल्यूसी जैसे कानून श्रमिकों के हितों की रक्षा करते हैं और उद्यमियों को भी कई तरह के लाभ प्रदान करते हैं।"

सेमिनार में प्रख्यात श्रम कानून विशेषज्ञों जयेश बरवालिया, मल्हार मेहता और नेहल चोकसी ने ईएसआईसी, पीएफ और डब्ल्यूसी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने इन कानूनों के लागू होने के मानदंड और मुआवजे प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल शब्दों में समझाया।

सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ. अनिल सरावगी ने सरकारी कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि उद्योगों को इन कानूनों का पालन न केवल एक कानूनी आवश्यकता के रूप में बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व के रूप में देखना चाहिए।

अतिथि नीरव मंडलेवाला ने डब्ल्यूसी एक्ट के तहत बीमा पॉलिसी लेने के फायदों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे यह पॉलिसी वित्तीय नुकसान से बचने में मदद कर सकती है।

सेमिनार के दौरान दर्शकों ने विभिन्न सवाल पूछे, जिनका विशेषज्ञों ने विस्तार से उत्तर दिया। इस सवाल-जवाब के सत्र ने सेमिनार को और अधिक इंटरेक्टिव बना दिया।

एसजीपीसी के उपाध्यक्ष दिलीप चश्मावाला ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के सेमिनार उद्योगों को कानूनी जटिलताओं को समझने और उनका सामना करने में मदद करते हैं।

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