सूरत : अमरोली में पोस्टर विवाद का सुखद अंत, रविवार से चालू हो जाएंगे लूम्स कारखाने

हमेशा की तरह कपड़ा उत्पादन फिर से शुरू करने के लिए लूम्स मास्टर प्रतिबद्ध : विजय मांगुकिया

सूरत : अमरोली में पोस्टर विवाद का सुखद अंत, रविवार से चालू हो जाएंगे लूम्स कारखाने

लूम्स मास्टरों के साथ हुई बैठक, काम पर लौटेंगे कारीगर

शहर की अमरोली क्षेत्र स्थित अंजनी इंडस्ट्रीज में लूम कारखाने के बाहर लगे पोस्टर का सुखद अंत हो गया। शनिवार को अंजनी इंडस्ट्रीज में लूम्स  मास्टरों एवं वीवरों के बीच हुई मीटिंग में पोस्टर विवाद का समाधान होने पर रविवार से कारखाने में काम लौटने पर सहमति जताई है। 

उल्लेखनीय है कि अमरोली इंडस्ट्रीयल क्षेत्र के अंजनी इंडस्टड्रीज में पांच दिन पूर्व उड़िया भाषा में जगह-जगह एक पोस्टर लगाये गये थे, जिसमें लिखा था कि 20 पैसे प्रति मीटर भाव बढ़ने पर ही कारीगर काम करने कारखाने में जाएंगे नहीं तो जो जाएगा उसकी जिम्मेदारी होगी। इस क्षेत्र में अधिकांश उड़िसावासी कारीगर होने से जो भी श्रमयोगी उस पोस्टर को पढ़ा उसकी सूचना दूसरे श्रमयोगी को दी, जिससे बहुत ही कम समय में सभी श्रमियोगियों के पास पोस्टर की जानकारी पहुंच गई और कारीगर काम करने से बचने लगे। कारीगरों के इस कदम के बाद चार दिनों से अमरोली क्षेत्र की 800 लूम्स कारखानें ठप रहे। अब संभवतः रविवार से कारखानें चालू हो जाएंगे। 

लूम्स कारखाना मालिक विवर विजयभाई मांगूकिया ने बताया कि पिछले चार दिनों से तकरीबन 800 लूम्स कारखाने बंद होने से जहां लगभग एक करोड़ 20 लाख मीटर कपड़े का प्रोडक्शन प्रभावित हुआ, वहीं प्रतिदिन कारीगरों के 1000 से 1500 रुपये के नुकसान से वे भी प्रभावित रहे। उन्होंने बताया कि शनिवार को मास्टरों के साथ मीटिंग आहूत की गई, जिसमें वीवर वल्लभभाई पटेल के अलावा 60 लूम्स मास्टरों की उपस्थिति रही। बैठक में पिछले 7 सालों से दीपावली के समय होते आ रहे इस तरह के कारनामे को जड़ से उखाड़ने की यानी स्थायी समाधान पर चर्चा हुई।  

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विजयभाई मांगुकिया ने बताया कि इस तरह का पोस्टर लगाकर कारखानें एवं करीगरों को प्रभावित करने वाले को चिन्हित किया जाए और उसे दंड प्रक्रिया के तहत दंडित कराया जाए, ताकि दीपावली के समय इस तरह के पोस्टर विवाद का स्थायी निराकरण हो सके। मास्टरों और वीवरों के बीच हुई बातचीत में तय हुआ कि रविवार से मास्टरों के नेतृत्व में कारीगर काम पर लौटेंगे। साथ ही जिस कारखाने में रेट कम है उस कारखाना मालिक से विचार विमर्श किया जाएगा। जबकि जिस कारखाने में सब कुछ ठीक-ठाक है, वहां इस तरह की कोई चर्चा नहीं होगी। तकरीबन 1200 से 1500 रुपये प्रतिदिन नुकसान होने का मास्टरों को भी एहसास हुआ और रविवार से काम पर लौटने की सहमति जताई। उन्होंने कहा कि एक लूम्स मास्टर 18000 से 25000 रुपये का 15 दिनों में काम कर लेता है यानी 35 से 50 हजार रुपये प्रति माह मास्टर कमाते हैं। वे भी कारखाना बंद होने और हो रहे अपने नुकसान से दुःखी थे। अब रविवार से कारखाना पूर्ववत चालू होगी।

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