सूरत : भगवान गणेश की अर्ध-विघटित मूर्तियों का पुनः विसर्जन

सांस्कृतिक रक्षा समिति के स्वयंसेवकों ने 2500 से प्रतिमाओं का विसर्जन किया

सूरत : भगवान गणेश की अर्ध-विघटित मूर्तियों का पुनः विसर्जन

सूरत : सूरत शहर में गणेश उत्सव के बाद एक बार फिर सांस्कृतिक रक्षा समिति ने पर्यावरण और धार्मिक भावनाओं को बचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। शहर की डिंडोली, खरवासा, चलथान, पर्वत पाटिया जैसे विभिन्न क्षेत्रों में तैरती हुई पाई गई 2500 से अधिक अर्ध-विघटित गणेश मूर्तियों को समिति के स्वयंसेवकों ने निकालकर हजीरा के समुद्र में सम्मानपूर्वक विसर्जित किया।

संस्कृतिक संरक्षण समिति के अध्यक्ष आशीष सूर्यवंशी ने बताया कि हमारी संस्था उधना क्षेत्र स्थित श्री माधव गौशाला एवं पशु छात्रावास में जहां बीमार गौमाताओं एवं अन्य पशुओं का उपचार किया जाता है। संस्था के स्वयंसेवको द्वारा पिछले 8 वर्षों से शहर की विभिन्न नहरों से आधी-अधूरी विसर्जित गणेश प्रतिमाएं, दशामां की हजारो प्रतिमाओं का पुनः विसर्जन किया जाता है।

पीओपी से बनी ये मूर्तियां न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी आहत करती हैं। उन्होंने कहा, 10 दिनों की भक्ति के बाद भक्तों द्वारा देवी-देवताओं की मूर्तियों को गंदे पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। "हम पिछले कई वर्षों से इस समस्या से निपट रहे हैं और लोगों को मिट्टी की मूर्तियां स्थापित करने के लिए जागरूक कर रहे हैं।

सूर्यवंशी ने आगे कहा कि सूरत मनपा द्वारा कुत्रिम तालाबों के निर्माण और पुलिस की कड़ी निगरानी के बावजूद कुछ लोग नियमों का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने ऐसे भक्तों से अपील की कि वे बप्पा की मूर्तियों को उचित स्थान पर ही स्थापित करें और उचित रूप से सम्मानपूर्वक विसर्जन करे।

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