नई दिल्ली : इतिहास के पन्नों में 01 सितंबरः दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत की वह भयावह सुबह

हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी ने यूरोप में बड़ा साम्राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला किया था

नई दिल्ली : इतिहास के पन्नों में 01 सितंबरः दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत की वह भयावह सुबह

नई दिल्ली, 01 सितंबर 1939 की सुबह जर्मनी की सेना के युद्धक विमानों ने पोलैंड पर हवाई हमले शुरू कर दिए। सुबह 9 बजे राजधानी वारसा पर बम बरसाए जाने लगे। तड़के ही जर्मन सेना ने टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां, गोला-बारूद और करीब डेढ़ लाख सैनिकों के साथ हमले की तैयारी कर ली थी। हिटलर की सेना ने पोलैंड पर यह आक्रमण बिना किसी पूर्व सूचना या चेतावनी के किया था।

दरअसल, हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी ने यूरोप में बड़ा साम्राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला किया। जवाब में फ्रांस, ब्रिटेन और राष्ट्रमंडल के देशों ने जर्मनी को पौलेंड से सेना हटाने की चेतावनी दी और इन देशों की सेनाओं का जमावड़ा भी शुरू हो गया। हिटलर ने इन चेतावनियों को जब नजरअंदाज किया तो इसने दूसरे विश्वयुद्ध की पटकथा तैयार कर दी।

1939 से 1945 तक चलने वाले दूसरे विश्वयुद्ध में 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं शामिल थीं। विभिन्न देशों के 10 करोड़ लोगों ने इसमें हिस्सा लिया, जिनमें 5-7 करोड़ लोगों की मौत हुई। खासतौर पर असैनिक नागरिकों का नरसंहार सबसे भयावह पक्ष था। युद्ध की समाप्ति का कारण बना परमाणु हथियार का प्रयोग भी दुनिया के लिए एक सबक है जो युद्ध की विभीषिका में झुलसी मानवीयता की दारुण कहानी है।