नई दिल्ली : प्रधानमंत्री ने पहली प्रगति के 44वें संस्करण की बैठक में की सात महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा

जिनमें सड़क संबंधित दो, दो रेल परियोजनाएं और कोयला, बिजली और जल संसाधन क्षेत्रों की एक-एक परियोजना शामिल हैं

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री ने पहली प्रगति के 44वें संस्करण की बैठक में की सात महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा

नई दिल्ली, 28 अगस्त (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को अपने तीसरे कार्यकाल की पहली प्रगति के 44वें संस्करण की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में उन्होंने सात महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की, जिनमें सड़क कनेक्टिविटी से संबंधित दो परियोजनाएं, दो रेल परियोजनाएं और कोयला, बिजली और जल संसाधन क्षेत्रों की एक-एक परियोजना शामिल हैं। इन परियोजनाओं की कुल लागत 76,500 करोड़ रुपये से अधिक है। यह सभी परियोजनाएं 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से संबंधित हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा, गोवा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और दिल्ली शामिल हैं।

बैठक में प्रधानमंत्री माेदी ने संवाद के माध्यम से इस तथ्य पर जोर दिया कि केंद्र या राज्य स्तर पर सरकार के प्रत्येक अधिकारी को संवेदनशील होना चाहिए। परियोजनाओं में देरी से न केवल लागत बढ़ती है बल्कि जनता परियोजना के अपेक्षित लाभों से भी वंचित हो जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान परियोजना विकास करते समय पर्यावरण की रक्षा करने में मदद कर सकता है।

बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री ने अमृत 2.0 और जल जीवन मिशन से संबंधित सार्वजनिक शिकायतों की भी समीक्षा की। ये परियोजनाएं अन्य बातों के साथ-साथ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के मुद्दों का समाधान करती हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पानी एक बुनियादी मानवीय जरूरत है और जिला स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर पर शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण निपटान राज्य सरकारों द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जल जीवन परियोजनाओं का पर्याप्त संचालन और रखरखाव तंत्र इसकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने जहां संभव हो महिला स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने और संचालन तथा रखरखाव कार्यों में युवाओं को कुशल बनाने का सुझाव दिया। उन्हाेंने जिला स्तर पर जल संसाधन सर्वेक्षण आयोजित करने की बात दोहराई और स्रोत स्थिरता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने मुख्य सचिवों को अमृत 2.0 के तहत कार्यों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने की सलाह दी और राज्यों को शहरों की विकास क्षमता और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाने काे कहा। उन्होंने कहा कि शहरों के लिए पेयजल योजना बनाते समय परिनगरीय क्षेत्रों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए क्योंकि समय के साथ ये क्षेत्र भी शहरी सीमा में शामिल हो जाते हैं। देश में तेजी से हो रहे शहरीकरण को देखते हुए शहरी प्रशासन में सुधार, व्यापक शहरी नियोजन, शहरी परिवहन योजना और नगरपालिका वित्त समय की महत्वपूर्ण जरूरतें हैं। उन्होंने कहा कि शहरों की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसी पहल का लाभ उठाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि मुख्य सचिवों के सम्मेलन में शहरीकरण और पेयजल के कई पहलुओं पर चर्चा की गई थी और दी गई प्रतिबद्धताओं की समीक्षा मुख्य सचिवों को स्वयं करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने भारत सरकार के मुख्य सचिवों और सचिवों से मिशन अमृत सरोवर कार्यक्रम पर काम जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवरों के जलग्रहण क्षेत्र को साफ रखा जाना चाहिए और ग्राम समिति की भागीदारी से आवश्यकतानुसार इन जल निकायों से गाद निकालने का कार्य किया जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि अब तक हुई कुल प्रगति बैठकों में 355 परियोजनाएं जिनकी कुल लागत रु. 18.12 लाख करोड़ की समीक्षा की गई है।

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