अहमदाबाद : वन अधिकार अधिनियम : एक लाख से अधिक वनबंधु बने 5.5 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि के मालिक
वनवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता
अहमदाबाद, 6 अगस्त (हि.स.)। गुजरात के आदिवासी क्षेत्र में रहने वाले जनजातियों (वनबंधुओं) को उनकी भूमि का मालिकाना अधिकार दिलाने के लिए राज्य सरकार कार्य कर रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने वन अधिकार अधिनियम 2006 बनाया है, जिसमें जनजातियों के अधिकारों को नियमित करने का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत राज्य सरकार ने व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दावों में कुल 1,02,615 दावे मंजूर किए हैं, जिनमें कुल 5,69,332 हेक्टेयर भूमि वनबंधुओं के लिए मान्य की गई है।
राज्य के आदिवासी विकास विभाग की ओर से दिए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2008 में इस अधिनियम के नियमों के क्रियान्वयन के बाद अब तक 1,82,869 व्यक्तिगत दावे किए गए थे, जिनमें से 97,824 दावे मंजूर किए गए हैं और लाभार्थियों के लिए 67,246 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र मंजूर किया गया है। इसी प्रकार; 7,187 सामुदायिक दावों में से 4,791 दावे मंजूर कर 5,02,086 हेक्टेयर भूमि मान्य की गई है। इस अधिनियम के अंतर्गत किए गए प्रावधान के अनुसार व्यक्तिगत दावों में 4 हेक्टेयर तक तथा सामुदायिक अधिकार के अंतर्गत वन्य उत्पाद एकत्रित करने, मछली या जलाशयों के अन्य उत्पाद लेने तथा चारे आदि उद्देश की वन्य भूमि एवं ढाँचागत सुविधाओं के लिए प्रति सुविधा 1 हेक्टेयर भूमि आवंटित की जाती है।
खेती के लिए 16 हजार से अधिक लाभार्थियों को मिली मदद
वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आवंटित की गई जमीन का वैज्ञानिक ढंग से विकास हो, इसके लिए वर्ष 2023 में ‘मुख्यमंत्री वन अधिकार किसान उत्कर्ष योजना’ लागू की गई है। इस योजनांतर्गत लाभार्थियों को कृषि विविधता, कृषि मशीनीकरण तथा पशु सहायता, बकरा पालन जैसी अन्य आजीविकाओं के उपायों के लिए सहायता आदि का लाभ दिया गया है। इस योजना के तहत वर्ष 2023-24 में 3,982 लाख रुपए का आवंटन किया गया है और अब तक 16,980 लाभार्थियों को इसका लाभ दिया गया है।