सूरत :   सूरत टेक्सटाइल मार्केट लीज प्रकरण को लेकर उहापोह की स्थिति

दुकानधारकों एवं कार्यकारिणी समिति के बीच गहराता जा रहा विवाद

सूरत :   सूरत टेक्सटाइल मार्केट लीज प्रकरण को लेकर उहापोह की स्थिति

महानगरपालिका भाड़ा बढ़ा सकती है, लेकिन जंत्री के हिसाब से जमीन की कीमत नहीं वसूल सकती : व्यापारी

रिंग रोड स्थित सूरत टेक्सटाइल मार्केट न केवल एक मार्केट है बल्कि सिल्क सिटी सूरत की एक पहचान भी है, लेकिन इन दोनों मार्केट की लीज को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में मार्केट की कार्यकारिणी समिति एवं कुछ व्यापारियों के बीच विवाद भी गहराता जा रहा है। जहां एक और कार्यकारी समिति महानगरपालिका के कथन के अनुसार 127 करोड़ भरने की ओर अग्रसर है, वहीं कुछ व्यापारी इसे गैरकानूनी बताकर भरने से इनकार कर रहे हैं।

 उल्लेखनीय है कि सूरत टेक्सटाइल मार्केट को बनाने के लिए महानगरपालिका ने 100 साल के लीज पर जमीन दी है, जिसके अनुसार 50 साल पूरे होने पर भाड़ा बढ़ोतरी की बात आपसी सहमति से की गई है। वर्ष 2018 में 50 वर्ष पूर्ण होने पर महानगरपालिका ने एसटीएम दुकान धारकों को मार्केट  की पूरी जमीन की जंत्री के हिसाब से 127 करोड रुपए 18 प्रतिशत जीएसटी और 4 प्रतिशत इंटरेस्ट के साथ 10 वर्ष में चुकाने की हिदायत दी थी।  जिसके अनुसार मार्केट के कुल 1033 दुकानों में से तकरीबन 700 से अधिक दुकानदारों ने पांच-पांच लाख रुपए अब तक जमा कर दिए हैं। जबकि अन्य दुकानदारों ने अभी तक 1 रुपये भी नहीं जमा किये हैं और समिति ऐसे दुकानदारों से पैसे वसूलने का दबाव बना रही है। यहीं नहीं बल्कि मार्केट एसोसिएशन ने स्पेशल एजीएम बुलाकर अब तक बिल्कुल भी रुपये नहीं भरने वाले दुकान धारकों को 31 जुलाई 2024 तक का अल्टीमेटम भी दिया है। रुपये जमा नहीं करने की स्थिति में दुकान सील करने का भी निर्णय एजीएम में लिया गया है। 

एसटीएम के एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 50 वर्ष पूर्ण होने पर आपसी सहमति से लीज का भाड़ा बढ़ाने की बात डीड में अंकित है, जबकि इससे इतर महानगरपालिका जंत्री के हिसाब से 127 करोड़ रुपए, 18 प्रतिशत जीएसटी एवं 4 प्रतिशत ब्याज सहित वसूलना चाहती है, जो कि सरासर गलत एवं गैर कानूनी है। व्यापारी का कहना है कि जब जंत्री के हिसाब से महानगरपालिका जमीन की कीमत वसूल रही है तो दुकान भी दुकानदारों के नाम करें। 

व्यापारी के अनुसार एसएमसी के पास कोई लॉ नहीं है कि वह जंत्री के हिसाब से पैसा वसूल सके। उसे सिर्फ लीज के अनुसार भाड़ा बढ़ाने की सत्ता है, जिसके लिए हम तैयार हैं। यदि महानगरपालिका जंत्री के हिसाब से हमसे पैसा चाहती है तो हम देने के लिए भी तैयार हैं, बशर्तें दुकान हमारे नाम करें। जब जंत्री के हिसाब से मनपा जमीन की कीमत वसूल रही है तो उसका भाड़ा क्यों दिया जाए। इस मामले को लेकर मार्केट के तकरीबन 40 से 50 व्यापारी हाई कोर्ट में पिटीशन दायर किया है, जिस पर आगामी 2 अगस्त को हियरिंग है। हमें न्याय प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है। अदालत का जो भी फैसला होगा, हम उसे स्वीकार करेंगे। महानगरपालिका किस लॉ से 127 करोड रुपए मांग रही है वह लॉ तो बताए।

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