सूरत :   बाढ़ से कपड़ा उद्योग को भारी नुकसान

बारिश से न केवल व्यापारियों बल्कि हजारों श्रमयोगियों की रोजी-रोटी पर भी असर पड़ा है

सूरत :   बाढ़ से कपड़ा उद्योग को भारी नुकसान

क्या आप जानते हैं कि सूरत का टेक्सटाइल उद्योग, जो भारत की आर्थिक धारा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बाढ़ के कारण प्रतिदिन करोड़ों रुपये का नुकसान झेल रहा है?

 सूरत का टेक्सटाइल बाजार दुनिया भर में प्रसिद्ध है, लेकिन हाल ही में बाढ़ ने यहां की पूरी व्यापारिक गतिविधियों को ठप कर दिया है। इससे न केवल व्यापारियों बल्कि हजारों कामगारों की रोजी-रोटी पर भी असर पड़ा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ के कारण विगत दिनों रोजाना 100 करोड़ रुपये का नुकसान केवल एक आंकड़ा नहीं है, यह सूरत के व्यापारियों और मजदूरों की कठिनाइयों का प्रतीक है। सोचिए, एक दिन में ही इतनी बड़ी राशि का नुकसान होना किसी भी उद्योग के लिए विनाशकारी हो सकता है।

 बाढ़ के कारण सड़कों और रेलवे की स्थिति खराब हो गई है, जिससे माल का परिवहन कठिन हो गया है। इससे व्यापार की गति धीमी पड़ गई है और व्यापारियों को अतिरिक्त लागत का सामना करना पड़ रहा है।

 ऐसे कठिन समय में निवेशक भी चिंतित हो जाते हैं। बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं उनके विश्वास को हिला सकती हैं और वे अपने निवेश को सुरक्षित जगह पर ले जाने के बारे में सोच सकते हैं।  इस स्थिति में सरकार की भूमिका अहम हो जाती है। राहत कार्यों के साथ-साथ व्यापार को फिर से पटरी पर लाने के लिए नीतिगत कदम उठाने की आवश्यकता है।

 हम सभी ने बाढ़ के बारे में सुना है, लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि इसका आर्थिक प्रभाव कितना व्यापक हो सकता है? सूरत की यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम प्राकृतिक आपदाओं के प्रति कितने तैयार हैं और इनसे निपटने के लिए हमारी योजनाएं कितनी मजबूत हैं।

व्यापारी भी माल भेजने से बचते रहे

व्यापारी अग्रणी रंगनाथ सारडा ने बताया कि पिछले कई महीनों से मार्केर्ट में मंदी का माहौल रहा। परंतु आगामी रक्षाबंधन त्योहार के मद्देनजर जैसे ही मार्केट में चहल-पहल शुरु हुई वैसे ही हुई तेज बारिश से निचले क्षेत्रों में जल भराव के साथ ही सारोली क्षेत्र की अनेक सड़कों पर पानी भर गया। जिससे ट्रांसपोर्टिंग पुरी तरह से ठप हो गया। ऐसी स्थिति में कोई भी ट्रांसपोर्ट माल ले जाने के लिए तैयार नहीं थे। साथ ही व्यापारी भी माल भींग जाने के डर से भेजने से बचते रहे। प्रतिदिन 100 करोड़ के व्यवसाय के बीच इन दिनों मात्र 25 प्रतिशत ही कारोबार हो रहा। 

बाढ़ से काफी प्रभावित रहा ट्रांसपोर्ट 

गत रोज हुई तेज बारिश से निचले क्षेत्रों में पानी भर जाने की वजह से पिछले चार-पांच दिनों से ट्रांसपोर्ट से एक भी गाड़ी बाहर की मंडियों के लिए नहीं जा सकी। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रमुख युवराज देसले ने बताया कि प्रतिदिन 75 से अधिक ट्रकें देश भर की मंडियों के लिए कपड़ा लेकर रवाना होती थी। इस हिसाब से 5 दिनों में लगभग 400 ट्रकों से पार्सलों की ठुलाई हुई होती। प्रति ट्रक में तकरीबन 200 पार्सल और 60 लाख का माल होता है। कुल मिलाकर तकरीबन 25 करोड़ का कारोबार प्रभावित रहा। उन्होंने बताया कि ट्रकों के पहिया थमने से जहां 300 ट्रांसपोर्टर प्रभावित रहे, वहीं प्रति ट्रांसपोर्ट में 10 कर्मचारी के हिसाब से लगभग 3000 श्रमिकों के सामने भी रोजी-रोटी का सवाल रहा। इसके साथ ही ट्रक मालिकों को भी ईएमआई एवं टेक्स सहित काफी नुकसान हुआ। शुक्रवार से पार्सलों का आना-जाना यानी ट्रकों का आवागमन शुरू हो गया है। हाल में आधा तकरीबन 30 से 35 ट्रक ही माल भरे जा रहे हैं। हालांकि बारिश थमने से दिनों दिन स्थिति सामान्य होती जाएगी। 

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