आईआईटी जोधपुर ने शीघ्र डायग्नोसिस के लिए स्मार्टफोन-आधारित ग्लूकोज परीक्षण विकसित किया

इस परीक्षण से परिणाम शीघ्र और आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे

आईआईटी जोधपुर ने शीघ्र डायग्नोसिस के लिए स्मार्टफोन-आधारित ग्लूकोज परीक्षण विकसित किया

जोधपुर, 28 मार्च (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के शोधकर्ताओं ने एक अद्वितीय चिकित्सा प्रणाली बनाई है, इसमें स्मार्टफोन का उपयोग मरीजों में ग्लूकोज के स्तर का परीक्षण करने के लिए किया जा सकता है। इस परीक्षण से परिणाम शीघ्र और आसानी से उपलब्ध हो सकेंगे।

एंड्रॉइड ऐप का उपयोग करके पूरा तंत्र किसी भी स्मार्टफोन से एक पेपर-आधारित विश्लेषणात्मक उपकरण जोड़ता है। यह ग्लूकोज के नमूने का 10- 40 मिमी की सघनता सीमा के साथ पता लगाने के लिए सक्षम है। कागज-आधारित विश्लेषणात्मक उपकरण पोर्टेबल उपकरण हैं जिसने आवश्यकता-बिंदु परीक्षण में क्रांति ला दी है। और जैव रासायनिक नमूनों का तुरंत आकलन कर सकते हैं। यह उपकरण एक लैब-आधारित कार्यात्मक बायोडिग्रेडेबल पेपर के साथ आता है जो मौजूद ग्लूकोज के स्तर और मात्रा के आधार पर अपना रंग बदल देता है। इसे स्मार्टफोन से जोड़कर शोधकर्ताओं ने ग्लूकोज के स्तर को ट्रैक करने की पूरी प्रक्रिया को तीव्र और प्रभावी बना दिया है। इस उपकरण को जनता के निजी उपयोग के लिए विकसित करने का लक्ष्य है।

यह उपकरण, तकनीकी या परिष्कृत प्रयोगशाला सेटिंग्स की आवश्यकता के बिना ऑन-द-स्पॉट ग्लूकोज परीक्षण परिणाम प्रदान कर सकता है। इसके अतिरिक्त इसे किफायती और बायोडिग्रेडेबल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जांच की वर्तमान लागत प्रयोगशाला में केवल लगभग 10 रुपये है। टीम को उम्मीद है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन के दौरान इसे और भी सस्ता बनाकर 5 रुपये तक लाया जा सकता है।

यह अनुसंधान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के यात्रिक अभियांत्रिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अंकुर गुप्ता, विनय किशनानी, निखिल कश्यप और शिवम शशांक टीम ने किया।

प्रौद्योगिकी संस्थान के अभियांत्रीकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंकुर गुप्ता ने बताया कि स्मार्टफोन आसानी से अन्य डिवाइस और प्लेटफ़ॉर्म्स के साथ जुड़ जाता है। स्मार्टफोन आधारित डिटेक्शन फ्रेमवर्क आपको बड़े नेटवर्क या डेटाबेस से जोड़ने में मदद करता है और आसानी से निगरानी करने, डेटा संग्रहण करने और परिणाम साझा करने की सुविधा प्रदान कर सकता है। यह कनेक्टिविटी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। एक कागज-आधारित विश्लेषणात्मक उपकरण है जिसकी एक बड़ी समस्या यह है कि इसे काम करने के लिए विशिष्ट प्रकाश स्थितियों की जरूरत होती है।

शोधकर्ताओं द्वारा विकसित यह प्रणाली उस कमी को पूरी तरह से दूर कर देती है और पीएडी को काम करने और लगभग सभी संभावित प्रकाश स्थितियों के तहत स्मार्टफोन तक जानकारी प्रसारित करने की अनुमति देती है। स्मार्टफोन ऐप विकसित करने के लिए कृत्रिम ग्लूकोज नमूनों का उपयोग करके, रंगीन नमूनों की विभिन्न छवियों को मशीन लर्निंग एप्लिकेशन का उपयोग करके संसाधित किया गया। इससे यह सुनिश्चित हुआ की पीएडी (PAD) से रंग की तीव्रता प्रकाश की स्थिति और स्मार्टफोन में कैमरे के प्रकार से प्रभावित नहीं हुई। इस प्रकार पीएडीको अलग-अलग कैमरा ऑप्टिक्स वाले किसी भी स्मार्टफोन से जोड़ा जा सकता है। यह शोध कार्य एसीएस प्रकाशन में प्रकाशित हो चुका है।

डॉ. अंकुर गुप्ता ने बताया कि इस शोध में दूरगामी क्षमता है, " यह अध्ययन दर्शाता है कि यह विकसित प्रणाली उपयोगकर्ता के लिये प्रारंभिक रोग जांच के लिए सहायक है। मशीन लर्निंग तकनीकों को शामिल करके, प्लेटफ़ॉर्म विश्वसनीय और सटीक परिणाम प्रदान कर सकता है। इस प्रकार किसी भी बीमारी की बेहतर प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच और निदान के लिए परिणामों की सटीकता का अनुमान लगाने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। यह मॉड्यूल प्रशिक्षण और परीक्षण के लिए नमूना आंकड़े/ डेटा प्रदान करके अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए अनुकूल हो सकता है।

भविष्य के अनुप्रयोग के लिए, टीम गैर-रक्त पदार्थों में अलग-अलग रंग कोड के रूप में अलग-अलग रंग संकेतकों का उपयोग करके ग्लूकोज, यूरिक एसिड और लैक्टेट का एक साथ पता लगाने पर काम कर रही है। अभी तक, भले ही यह ढांचा केवल ग्लूकोज नमूनों के लिए काम करता है, इस दृष्टिकोण को अन्य बीमारियों की जांच और निदान विश्लेषण के लिए भी नियोजित किया जा सकता है। इसमें विभिन्न लक्ष्य विश्लेषणों, एंजाइमों और संकेतकों के लिए अनुकूलन की आवश्यकता होती है, जबकि मूल अवधारणा वही रहती है। खींची गई छवियों को फिर मशीन लर्निंग विश्लेषण के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है, ताकि निदान संबंधी जानकारी सीधे उपयोगकर्ता के स्मार्टफोन तक पहुंच सके।

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