पद्मराजन: 238 बार मिली हार, फिर चुनाव मैदान में इलेक्शन किंग

कंधे पर चमकदार शॉल लपेटे पद्मराजन ने कहा, "सभी उम्मीदवार चुनाव में जीत चाहते हैं लेकिन मैं नहीं

पद्मराजन: 238 बार मिली हार, फिर चुनाव मैदान में इलेक्शन किंग

चेन्नई (तमिलनाडु) , 28 मार्च (हि.स.)। टायर मरम्मत की दुकान चलाने वाले 65 वर्षीय के. पद्मराजन स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले की संसदीय सीट से चुनाव मैदान में हैं। इलेक्शन किंग के नाम से मशहूर के. पद्मराजन एक तस्वीर दिखाते हुए खुद को 'दुनिया का सबसे अधिक चुनाव हारने वाला' प्रत्याशी बता रहे हैं।

1988 में तमिलनाडु के अपने गृह नगर मेट्टूर से चुनाव लड़ने की शुरुआत करने वाले के. पद्मराजन इस सीट पर 238 बार अलग-अलग चुनाव हार चुके हैं। उन्होंने बड़े ही खास अंदाज में बताया कि जब अपनी टोपी रिंग में फेंकी तो लोग हँसे लेकिन वह यह साबित करना चाहते हैं कि एक सामान्य आदमी भी भारत के चुनाव में भाग ले सकता है।

कंधे पर चमकदार शॉल लपेटे पद्मराजन ने कहा, "सभी उम्मीदवार चुनाव में जीत चाहते हैं लेकिन मैं नहीं।" उनके लिए उनकी जीत चुनाव में भाग लेने में है। उन्हें पता है कि उनकी अनिवार्य रूप से हार होगी लेकिन वह हारकर भी खुश होते हैं। उनकी यह रिकॉर्ड लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के सबसे असफल उम्मीदवार के रूप में स्थान अर्जित कर चुकी है।

19 अप्रैल से शुरू होने वाले चुनाव में वह तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले की संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पद्मराजन ने राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय चुनाव तक देशभर में प्रतिस्पर्धा की है। इन वर्षों में वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से चुनाव हार चुके हैं।

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